रायपुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 15 जून। भारतीय स्ट्रोक एसोसिएशन इंडियन एसोसिएशन ऑफ फिजिशियंस रायपुर शाखा, और सेमी ने भारत में बेन स्ट्रोक के बढ़ते मामलों को देखते हुए जागरूकता अभियान ब्रेन स्ट्रोक: अब समय है शुरु किया है। भारत में हर 20 सेकंड में एक स्ट्रोक होता है और ज्यादा लोग इसकी चपेट में आते हैं। इस जड़ में अब पू देया में एक मजबूत स्ट्रोक एक्शन प्लान बनाना जरूरी हो गया है।अभियान के तहत डॉक्टरों के लिए ट्रेनिंग, कार्यशालाएं और आम जनों के लिए जागरूकता कार्यक्रम किए जा रहे हैं। ताकि लोग स्ट्रोक को लेकर सतर्क रहें और समय पर इलाज पा सके।
भारतीय स्ट्रोक एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ पी. विजय ने कहा कि ब्रेन स्ट्रोक होने पर इतर स्ट्रोक खून के धक्के से हुआ हो, तो उसे ठीक करने के लिए एक इंजेक्शन प्रोम्बोलिसिस दिया जाता है। लेकिन यह इलाज तक्ष्ण शुरू होने के 4.5 घंटे के अंदर ही काम करता है।
उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के जरिए स्थानीय डॉक्टरों को यह सिखाया गया कि कैसे स्ट्रोक मरीजों को जल्दी पहचाने और समय रहते इलाज दें। एसोसिएशन के सचिव डॉ. अरविंद शर्मा ने कहा कि, यह अभियान देशभर में चलाया जाएगा।
स्ट्रोक अब भारत में मौत और अपंगता की एक बड़ी वजह बन चुका है। कई गांव और छोटे शहरों में लोगों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता। हमें एंबुलेंस स्टाफ को ट्रेनिंग देना होगी और टेलीमेडिसिन जैसी सुविधाएं बढ़ानी होगी, ताकि हर किसी को समय पर इलाज मित सके चाहे वो कहीं भी रहते हो। हमें एक मजबूत स्ट्रोक केयर सिस्टम बनाना होगा जिसमें लोगों की शिक्षा, बेहतर अस्पताल सुविधाएं और इमरजेंसी इलाज हो।
वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. संजय शर्मा ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में कई बच्चों को सिकल सेल एनीमिया की वजह से स्ट्रोक होता है। अगर समय रहते इन बच्चों की जांच की जाए, तो स्ट्रोक से बचा जा सकता है। इमरजेंसी डॉक्टर डॉ. संतोष सिंह ने कहा कि, स्ट्रोक के मरीज को जितनी जल्दी अस्पताल पहुंचाया जाए, उतना अच्छा इलाज मिल सकता है। इमरजेंसी में सही जांच और जल्दी ब्रेन स्कैन से इलाज की शुरुआत तुरंत हो सकती है।विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि कैसे डॉक्टर स्ट्रोक के मरीजों को जल्दी पहचान कर इलाज कर सकते हैं। उन्होंने स्ट्रोक की दोबारा होने से बचाव और बच्चों में होने वाले स्ट्रोक के बारे में भी जानकारी दी।
स्ट्रोक के लक्षण
- संतुलन बिगडऩा
- आंखों की रोशनी धुंधली होना
- चेहरे का एक हिस्सा टेढ़ा होना
- एक हाथ में कमजोरी
- बोलने में परेशानी