रायपुर

क्या व्ही व्हीआईपी के यहां संलग्न कर्मियों का भी संलग्नीकरण समाप्त माना जाएगा-विजय झा
11-Jun-2025 6:20 PM
 क्या व्ही व्हीआईपी के यहां संलग्न कर्मियों का भी संलग्नीकरण समाप्त माना जाएगा-विजय झा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 11 जून। छत्तीसगढ़ शासन की  स्थानांतरण नीति पर कर्मचारी नेता विजय कुमार झा ने कहा है कि शिक्षा, वाणिज्य कर, पंजीयन, खनिज, आबकारी जैसे  विभागों को स्थानांतरण से पृथक रखना लाखों कर्मचारियों के साथ अन्याय है। अनेक बीमार, गर्भवती कर्मचारी स्थानांतरण के लिए परेशान हो रहे हैं। दूसरी ओर स्थानांतरण नीति के कंडिका एक पांच में वर्णित जिला स्तरीय कर्मचारियों का संलग्नीकरण 5 जून से स्वयं समाप्त माना जाएगा, यह उल्लेखित किया गया है।

 लेकिन क्या सांसदों मंत्रियों विधायकों एवं अन्य वीवीआईपी के निजी स्टाफ में संलग्न कर्मचारी स्वयंमेव सलंग्निकरण समाप्त माना जाएगा?। आपसी सहमति पर दो वर्ष या उससे अधिक कालावधि से पदस्थ कर्मचारियों पर लागू किए जाने की व्यवस्था की गई है। जबकि अनेक बीमार गर्भवती महिलाएं स्थानांतरण के लिए परेशान हैं,तो दूसरी ओर बुजुर्गमाता सास ससुर के देखरेख के लिए भी लाखों की संख्या में शिक्षा स्वास्थ्य के कर्मचारी स्थानांतरण के लिए 2 वर्ष से अधिक समय से इंतजार कर रहे हैं। गंभीर शिकायत के बाद जांच में सही पाए जाने पर ही स्थानांतरण की व्यवस्था की गई है।

श्री झा ने कहा है कि अनुसूचित क्षेत्र के कर्मचारी लंबे समय से अनुसूचित क्षेत्र में सेवाएं दे रहे हैं। उन्हें भी गैर अनुसूचित क्षेत्र में जाने का मौका मिलना चाहिए। गंभीर बीमार कैंसर किडनी हार्ट सर्जरी जैसे लोगों के मेडिकल दस्तावेज पर विश्वास न करते हुए, मेडिकल बोर्ड में भेजा जाना टालमटोल की नीति का परिचायक है। स्थानांतरण पर भार मुक्त करते समय कनिष्ठ अधिकारी कर्मचारी को प्रभार न देने के नियम का गंभीरता से पालन किया जाए। परिवार में मानसिक दिव्यांगता के प्रमाण पत्र पर विचार करते हुए सीधे स्थानांतरण किया जाना चाहिए। विभागीय मंत्री को प्रस्तुत आवेदन पर संबंधित विभाग तत्परता से कार्यवाही कर  मंत्री जी के समक्ष प्रस्तुत किया जाना सुनिश्चित करेंगे। नक्सली क्षेत्र में दो तिहाई पद भारे होने पर ही स्थानांतरण का प्रावधान वहां लंबे समय से कार्यरत कर्मचारियों के लिए परेशानी का कारण है।

नक्सली क्षेत्र में लोग नहीं जाना चाहते ऐसी स्थिति में वहां से स्थानांतरण होने पर एवजीदार का इंतजार करना कुल मिलाकर स्थानांतरण होने के बाद भी भार मुक्त न करने की नीति है।

2 वर्ष से अधिक समय से पदस्थ कर्मचारियों को आपसी स्थानांतरण की सुविधा दी गई है, जो जमीनी स्तर पर लेनदेन व भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है?। 1 जून 25 की स्थिति में एक साल से कम अवधि के कर्मचारियों का स्थानांतरण ना करना तत्कालिक सुविधा से वंचित करना है?। स्वेच्छा से स्थानांतरण को प्रशासकीय दृष्टि से भी उचित मानने की व्यवस्था स्वेच्छा से स्थानांतरण के विपरीत है। 5 जुलाई को एक तरफ भार मुक्त करने का समय इसलिए कम है क्योंकि जून के अंतिम तिथि तक स्थानांतरण पिछली तिथियों में जारी होंगे। ऐसी स्थिति में गलत स्थानांतरण पर आवेदन अभ्यावेदन देने की सुविधा नहीं मिल पाएगी। मंत्री विधायक सांसद के यहां संलग्न कर्मचारी 5 जून को संलग्नीकरण समाप्त माना जाएगा,इसका पालन चाहे वह कितना भी पहुंच वाला हो सुनिश्चित किया जाना चाहिए। स्थानांतरण में किसी भी प्रकार का संशोधन मुख्यमंत्री के अनुमोदन से ही संभव हो सकेगा जो सामान्य कर्मचारियों के पहुंच के बाहर है। एक ही शहर के अंदर एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय स्थानांतरण में भी रिक्त पदोन्नति पद आदि की समस्या उत्पन्न होगी। राज्य सरकार इन सब पर गंभीरता से विचार कर ही स्थानांतरण आदेश जारी करें ताकि स्थानांतरण के विरुद्ध अभ्यावेदनों की संख्या कम हो तथा न्यायालयों में भी कम प्रकरण प्रस्तुत हो??।


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