रायपुर

बाइबिल के सैकड़ों पेज लकड़ी के अक्षरों से गढ़े
13-Apr-2023 4:46 PM
बाइबिल के सैकड़ों पेज लकड़ी के अक्षरों से गढ़े

पद्मश्री से सम्मानित अजय मंडावी से बातचीत

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 13 अपै्रल।
पद्मश्री से सम्मानित होने वाले अजय मंडावी छत्तीसगढ़ के पहले ऐसे आदिवासी कलाकार हैं। लेकिन यह सम्मान उन्हें उनकी कला के साथ-साथ उनके सामाजिक सरोकार के लिए भी मिला है जिसके तहत उन्होंने खुद होकर बरसों तक बस्तर की एक जेल में बंद सैकड़ों विचाराधीन नक्सल-आरोपियों को कला सिखाई है। लकड़ी से कलाकृतियां बनाने के अलावा वे लोगों को लकड़ी का अक्षरज्ञान भी करवाते हैं, और उन्होंने ऐसे अक्षरों से देश के राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान तो बनाए ही हैं, पूरी की पूरी बाइबिल के सैकड़ों पेज भी उन्होंने लकड़ी के अक्षरों से ही गढ़े हैं।

राष्ट्रपति से पद्मश्री लेकर लौटे अजय मंडावी इस इंटरव्यू के दौरान इतनी साफ हिन्दी बोलते रहे, और अंग्रेजी के शब्दों का इतना सही इस्तेमाल करते रहे कि वहां मौजूद तमाम जानकार भी हक्का-बक्का रह गए। एक सरल इंसान के खूबसूरत दिल की इतनी अच्छी जुबान में बातें, इस अखबार ‘छत्तीसगढ़’ के संपादक सुनील कुमार से बातचीत में सामने आईं।

छत्तीसगढ़ आदिवासी इलाके के पहले आदिवासी व्यक्ति हैं, जिनको पद्मश्री मिला हैं। पहले ही बार में ये पुरस्कार मिला। अजय मंडावी ने बताया कि बचपन कांकेर में ही बीता। वे भैंसाकटा गांव के रहवासी है। लकड़ी का उन्होंने काम कॉलेज में आने के बाद शुरू किया। पारिवारिक परंपरा नहीं है। पिता जी टीचर थे। बड़े भाई को इंटे्रस्ट था। वे छोटा-छोटा पेंटिग, घर का मॉडल बनाते थे। पिताजी साल में एक बार गणेश की मिट्टी की मूर्ति बनाते थे। उन्हीं सब को देखकर मैंने भी शुरू की।

उन्होंने बताया कि सभी तरह का फील्ड ऑर्ट किया। लकड़ी में बहुत समय लगता है बनाने में। फिर धीरे-धीरे ठीक बनने लगा तो इसी को बनाने लगा। अक्षर वाला 2005 से शुरूआत की। 2006 में उसी कटिंग में एक वंदे मातरम बनाकर स्टेट अवार्ड में लगाया। जो एक बार ही आ गया। लगातार ये चलता रहा। वूडन आर्ट में मूर्ति बनाना बहुत ही कठिन था। क्योंकि हर बार ए  से शुरू करना है। क्योंकि कोई मूर्ति रिपीट नहीं करते हैं। अक्षर ऐसा है कि सिर्फ काटना है। उस तुलना में बहुत सरल है बहुत जल्दी सीखा जा सकता है।

अजय ने बताया कि बाइबल उसका एक पन्ना 3 फीट बाइ 2 फीट साइज का है। उसका अक्षर पौन इंज के पूरा करसीव लेटर्स में है। टोटल 384 पेज बनाया है। उस समय 15 लोगों की एक टीम थी। जो उनके स्टूटेंस थे। सभी ने मदद की। 384 पेज बनाना। उसमें लाखों रुपये का खर्च। उसमें समय और उतना ही अरजमेंट चाहिए। लेटर्स की लंबाई 10 किमी था। इसमें वक्त ढाई साल लगा।
उन्होंने बताया कि बाइबल को बनाने के बाद कई देशों से लोग देखने और मिलने आए। उसके एवज में उन्होंने कुछ नहीं चाहा।


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