रायपुर
रायपुर, 8 अप्रैल। पचपेड़ी नाका, कलर्स मॉल केपास कालड़ा प्लास्टिक कॉस्मेटिक सर्जरी एवं बर्न सेंटर (एनएबीएच, छ.ग. शासन व छत्तीसगढ़ विधुत मंडल से मान्यता प्राप्त) के संचालक व अंचल के प्रसिध्द कॉस्मेटिक व रिकन्स्ट्रटीव सर्जन डॉ. सुनील कालड़ा ने राजनांदगांव निवासी छन्नू वर्मा को नया जीवन दिया। प्रेसवार्ता में डॉ. सुनील कालड़ा ने बताया कि छन्नो जोकि प्राईवेट कंपनी में कार्यरत है। उसका दिनांक 8 जनवरी 2021 को रात्रि शिफ्ट के दौरान फैट्री में चलती हुई चैन में दोनों पैर आ गये थे व दोनों पैरों की दिशा बदल गई थी। उसी रात छन्नू को कालड़ा प्लास्टिक कॉस्मेटिक सर्जरी एवं बर्न सेंटर में लाया गया एक बार तो डाटरों ने मना कर दिया की पैरों के बचने की उम्मीद नही है योंकि राईट पैर उल्टा हो गया था व लेफ्ट पैर की एंकल जाईंट बोन लॉक हो गया था व कटकर बाहर आ गया था।
फिर भी डॉ. काल?ा ने कहा की कोशिश करते है और आज उसी का नतीजा है कि आज छन्नू वर्मा के दोनों पैर सही सलामत हो गये है। डॉ. सुनील काल?ा छन्नू को नया जीवनदान दिया।
डॉ. सुनील काल?ा ने बताया कि छन्नू के पैरों की हड्?डी चकनाचूर हो गई थी व पैर भी 12 सेंटीमीटर छोटे हो गये थे, जिसे हमने 12 सेंटीमीटर ब?ाया है
ज्ञातव्य है कि विगत 33 वर्षों से डॉ. सुनील काल?ा कटे अंगों को जो?कर जोकि एकमात्र सेंटर है। डॉ. सुनील काल?ा ने पूर्व में भी दोनो हाथ व पैर कटे हुए जो?े है जोकि एक मशाल है
डॉ. सुनील काल?ा ने आगे बताया कि अभी तक 5000 से भी ज्यादा मरीजों के कटे अंगों को जो? चुके है तथा पूर्व में अखबार में प्रकाशित समाचार से भी कुछ मरीज आ चुके है. इस तरह के ऑपरेशन माइक्रोस्कोप में देखकर करना प?ता है और मरीज को सघन निगरानी की जरूरत होती है. योंकि इसमें एक-एक सूक्ष्म नसों को आपस में जो?ना प?ता है. यदि दुर्घटना में कोई अंग कट जाए तो उसको सुरक्षितरखने के लिए पालीथीन में बर्फ रखकर डॉटर के पास जो?ा जा सकता है. उन्होंने बताया कि बहुत ज्यादा चोट, क्रश या जगह-जगह कटे अंगों को जो?ना संभव नही है. उन्होंने अंत में यह बताया कि पूरे देश में ऐसे ऑपरेशन बहुत कम होते है।


