रायपुर

ईएसी का हीलाहवाला,दो साल में सरकार को 380 करोड़ का नुकसान
23-Nov-2022 2:27 PM
ईएसी का हीलाहवाला,दो साल में सरकार को 380 करोड़ का नुकसान

गिट्टी खदानों को एनओसी देने में दो साल की देरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 23 नवम्बर। 
राज्य पर्यावरण मंडल के अधीनस्थ पर्यावरण मूल्यांकन प्राधिकरण  के अडिय़ल रवैए और हीलाहवाली के चलते प्रदेश में गिट्टी का गैर कानूनी खनन हो रहा है। इससे राज्य सरकार को मिलने वाली रायल्टी का चूना लग रहा है जबकि जीएसटी क्षतिपूर्ति बंद होने के बाद से सरकार पाई -पाई जोडऩे मशक्कत कर रही है।

सूत्रों के मुताबिक बीते दो वर्षों में 380 करोड़ की रायल्टी का नुक़सान उठाना पड़ा है। पूरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी ईएसी से वैध एन ओ सी नहीं मिलने से प्रदेश भर के क्रेशर प्लांट में उत्पादन हो रहा है और कंस्ट्रक्शन मार्केट में बिक भी रहा है लेकिन सरकार को रायल्टी नहीं मिल रही। सूत्रों ने बताया कि पिछले वर्ष सितंबर, अक्टूबर में गिट्टी खदान की अनुमति के लिए पर्यावरण मंडल, और ईएसी ने सुनवाई पूरी कर ली थी। लेकिन विधिवत एन ओ सी न देने से हर क्रेशर में गैर कानूनी खुदाई चल रही है। और मनमाने दर पर गिट्टी बेची जा रही है।

सूत्रों ने बताया कि ईएसी के अध्यक्ष बीपी नोन्हारे कई तरह की क्वेरीज लगाकर एन ओ सी रोके रखते हैं। रिटायर्ड आईएफएस नोन्हारे की कार्यप्रणाली को लेकर उद्योग संचालक परेशान हैं। दरअसल, सीएमडीसी हर जिले और हम खनिज के खनन की अनुमति नहीं देता, गिट्टी जैसे खनिज की अनुमति ईएसी देता है। नोन्हारे की कार्यप्रणाली की शिकायत खनिज निगम अध्यक्ष गिरीश देवांगन से भी की जा चुकी है।

सूत्रों ने बताया कि ईएसी गैर वन भूमि पर गिट्टी खदान और प्लांट की भी अनुमति नहीं देता। ऐसे आवेदनों पर तरह,तरह की छानबीन, पूछताछ के बहाने देरी की जाती है। ईएसी आनलाइन क्वेरीज को इंटरटेन नहीं करता और आफलाइन पत्रक भेजने में विलंब किया जाता है।इतना ही नहीं राजपत्र में प्रकाशित नियमों को भी ईएसी अध्यक्ष नहीं मानते।एक एक सुनवाई के मिनट बुक महीनों नहीं बनाए जाते।ईएसी ने राजनांदगांव के कुछ क्रेशर प्लांट को अनुमति देने से पहले जिला प्रशासन से छापा मारने के निर्देश दिए लेकिन जिलाधिकारियों ने साफ इंकार कर दिया।

आईएएस के पोस्ट पर आईएफएस बैठे, वह भी रिटायर्ड

सूत्रों ने बताया कि ईएसी का अध्यक्ष पद पर  आईएएस बिठाए जाते रहे हैं मध्य प्रदेश में आज भी यही परंपरा है। किंतु छत्तीसगढ़ में आई एफ एस वह भी रिटायर्ड लोगों को बिठाया गया है। छत्तीसगढ़ में ईएसी का गठन ही देरी से किया गया। उस पर अब तक धीरेन्द्र शर्मा, बीएल शरण और नोन्हारे पदस्थ किए गए हैं। बताया गया है कि इनमें से एक अफसर के खिलाफ तो जबलपुर हाईकोर्ट ने 120 बी के एक मामले में 5 वर्ष की सजा और 5 लाख का अर्थदंड भी लगाया। केंद्रीय सतर्कता आयोग ने ऐसे लोगों की नियुक्ति न करने के गाइड लाइन जारी किया है इसके बावजूद छत्तीसगढ़ में दागी लोगों की नियुक्ति की गई।

राजधानी समेत चार जिलों में क्रेशर प्लांट बंद, गिट्टी की कीमत दोगुनी से अधिक हुई

राजनांदगांव की तरह कवर्धा, महासमुंद और रायपुर जिले में भी कई क्रेशर संचालकों की एनओसी की अवधि खत्म हो गई है। मिली जानकारी के अनुसार राज्य के राजनांदगांव से लेकर कवर्धा, महासमुंद एवं रायपुर के कई क्रेशर खदानों के लिए पर्यावरण एनओसी जारी नहीं हो पाई है। राजनांदगांव में तकरीबन 100 क्रेशर है ।
जिन्हें तीन साल के लिए एनओसी जारी की गई थी। कोरोना काल में एनओसी को दो साल बढ़ाया गया था। एनओसी वृद्धि का समय भी अब बीत चुका है और इस तरह से राजनांदगांव में जितने भी क्रेशर हैं, अब उनके पास संचालन की अनुमति नहीं है। स्वाभाविक रूप से क्रेशर का काम बंद हो चुका है। जिनके पास गिट्टी संग्रहण का लाइसेंस था, अब वे के्रशर संचालक ही फिलहाल गिट्टी बेच पा रहे हैं। रेत और मुरूम के बाद अब गिट्टी में भी शॉर्टज दिखाकर कीमत बढ़ाने का खेल शुरू हो गया है।
उपलब्धता में कमी या शॉर्टेज दिखाकर रेट बढ़ाने का खेल बता रहे है। वर्तमान में क्रेशर प्लांट में संकट मंडरा रहा है। राज्य के अधिकांश जिलों में जिन गिट्टी के कीमत दुगुने दाम पर पहुंच क्रेशर प्लांटों का पर्यावरण एनओसी गई है। समाप्त हो चुका है, उन्हें पुन: एनओसी लेने के लिए महीनों इंतजार करना पड़ेगापर्यावरण विभाग से तुरंत एनओसी मिलने की उम्मीद न के बराबर है।  तब तक सीजन निकल जाएगा। प्रदेश में रेत, मुरूम, मिट्टी और गिट्टी जितने भी गौण खनिज है, उनका खनन अनियंत्रित हो गया है। निर्माण कार्यों पर पड़ेगा असर: जब तक क्रेशर चल रहे थे, तब तक बाजार में गिट्टी 15 रुपए फीट में उपलब्ध थी। जैसे ही क्रेशर बंद हुए। कीमतें 25-30 रूपए तक पहुंच गई है।


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