रायगढ़

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 23 अगस्त। रायगढ़ जिले के पुसौर ब्लॉक में रक्षाबंधन की शाम एक 27 वर्षीय महिला के साथ गैंगरेप की घटना के बाद अब वित्त मंत्री व रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी का बयान आया है। मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि यह घटना न केवल निदंनीय है, बल्कि पीडि़ता को न्याय दिलाने के लिए वे फास्ट ट्रैक के माध्यम से आरोपियों को सजा दिलाने के लिए पहल करेंगे।
रायगढ़ भाजपा कार्यालय में मीडिया से चर्चा करते हुए वित्तमंत्री व रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी ने कहा कि यह जो घटना है वह अत्यंत दुर्भाग्य जनक है। इस पूरे मामले में हम विशेष रूप से ध्यान रख रहे हैं। पीडि़ता की पहचान किसी भी स्थिति में सार्वजनिक न हो, ये कानूनी रूप से और नैतिकता व पीडि़ता की भविष्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसलिये पीडि़ता से सीधा मिलना न करके प्रशासन, पुलिस के माध्यम व फोन के माध्यम से बात करके पूरे मामले पर कार्रवाई सुनिश्चित करा रहे हैं। इस घटना के 24 घंटे बाद ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज करते हुए 8 में से सात आरोपी पकड़े गए और आठवें नाबालिग आरोपी की ओडिशा में मृत अवस्था में मिलने की जानकारी मिली है। पीडि़ता के परिजनों को आरोपियों के परिजनों की तरफ से कोई दबाव न डाला जाए इस विषय पर भी पुलिस कार्रवाई कर रही है।
मुआवजे की कही बात
वित्त मंत्री व रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी ने पीडि़ता को दिये जाने वाले मुआवजे के संबंध में कहा कि कानूनी तौर पर पीडि़ता को जो सहायता राशि दी जा सकती है, उसके लिए फस्ट स्टालमेंट जो लीगल तौर पर बनता है 4 लाख 12 हजार रूपये प्रशासन जारी किया हुआ है और आगे अलग-अलग स्टेज के हिसाब से मेरी जानकारी में 8 लाख रूपये की सहायता राशि उनको जिला प्रशासन के द्वारा प्रदान करने जा रही है। सारी चीजों पर हम नजर बनाए हुए हैं।
आरोपियों को मिले कठोर सजा
वित्त मंत्री व रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी ने यह भी कहा कि 27 वर्षीय महिला के साथ गैंगरेप में शामिल एक भी आरोपी छूट न पाये और सभी पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित हो इसके लिये लगातार पुलिस प्रशासन के माध्यम से हम प्रयास कर रहे हैं।
गैंगरेप के मामले में कांगे्रस पार्टी के द्वारा महिला विधायकों की बनाई गई जांच टीम के संबंध में ओपी चौधरी ने कहा कि मैं उनसे यही निवेदन करना चाहूंगा कि ये जो घटना है अत्यंत दुर्भाग्य पूर्ण है। इसमें पीडि़ता की पहचान किसी भी स्थिति में सार्वजनिक न हो। पीडि़ता की पहचान किसी भी स्थिति में सार्वजनिक न हो, ये कानूनी रूप से और नैतिकता व पीडि़ता की भविष्य की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।