रायगढ़

हाईकोर्ट ने निगम के दो अफसरों को लगाई फटकार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 1 मार्च। जूटमिल इलाके में 2011-12 में गौरवपथ के लिए बड़े पैमाने पर तोडफ़ोड़ की गई। अतिक्रमण के साथ सडक़ की जद में आ रहे कुछ लोगों की निजी भूमि पर हुए निर्माण भी हटाए गए। इसमें कुछ लोगों ने कोर्ट की शरण ली, मुआवजा लिया और कुछ लोगों ने कोर्ट से स्टे लेकर अपने भवन और जमीन बचाई।
कबीर चौक के नजदीक एक निर्माण को फर्जी सहमति के जरिए तोड़ा गया था। इस निर्माण पर हाईकोर्ट का स्टे था। इसी मामले में नगर निगम के एक कर्मचारी ने आयुक्त के सामने वाहवाही लूटने लिए भवन मालिक का सहमति पत्र बनाया और जबरन बुलडोजर चला दिया। लगभग 12 साल बाद अब इस मामले में हाईकोर्ट ने तत्कालीन नगर निगम आयुक्त और नजूल अधिकारी को फटकार लगाई है।
अवमानना मामले में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने फर्जी दस्तावेज पेश करने वाले अफसरों के खिलाफ कार्रवाई तक करने की बात कही है। इस आदेश के बाद तत्कालीन निगम आयुक्त आरडी दीवान और नजूल अधिकारी एके घृतलहरे की मुसीबत बढ़ सकती है।
अवमानना मामले में प्रशासन की तरफ से जो दस्तावेज प्रस्तुत किए उस पर कोर्ट ने आपत्ति जताई है। जूटमिल गौरवपथ निर्माण के दौरान रमेश कुमार अग्रवाल की दुकान तोड़ी गई थी। रमेश ने हाईकोर्ट से स्टे लिया हुआ था। फर्जी सहमति पत्र के जरिए तोडफ़ोड़ के बाद उन्होंने अपने अधिवक्ता अमित शर्मा के जरिए हाईकोर्ट में अवमानना याचिका लगाई थी।
अधिवक्ता अमित शर्मा ने बताया कि तत्कालीन निगम आयुक्त आरडी दीवान और नजूल अधिकारी एके घृतलहरे द्वारा अतिक्रमण हटाने के दौरान रमेश अग्रवाल की दुकान भी तोड़ दी गई। अफसरों ने अपने बचाव में रमेश अग्रवाल की सहमति वाला पत्र पेश किया, जो फर्जी था।
शुक्रवार को यह मामला जस्टिस गौतम भादुड़ी की कोर्ट में आया तो उन्होंने दूसरे पक्ष को दो टूक कह दिया कि आप फर्जी दस्तावेज पेश करने का कारण बताकर अपना जवाब पेश कर दीजिए और क्यों न हम दोनों अफसरों पर फर्जी दस्तावेज कोर्ट में पेश करने का आरोप भी तय कर दें।