महासमुन्द
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 12 दिसंबर। धान खरीदी लिमिट कम होने से सैकड़ों किसान प्रतिदिन टोकन के लिए लाइन लगते है और अधिकांश किसान निराश होकर वापस लौटने मजबूर है। किसानों ने शासन से खरीदी लिमिट बढ़ाने की मांग की है। ज्ञात हो कि बागबाहरा में टोकन नहीं कटने के कारण ही एक किसान ने आत्महत्या का प्रयास किया था। मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय समिति में कुल 85 हजार क्विंटल धान समर्थन मूल्य पर खरीदा जाना है। जिसके लिए 30 फीसदी टोकन ही समिति से कटेगा शेष टोकन ऑनलाइन पोर्टल से कटना है। परन्तु किसान ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग नहीं कर पा रहे है जिसकी वजह से किसान खासे परेशान दिखे।
रोज चक्कर काट कर वापस जा रहे किसान
गुरुवार को स्थानीय सहकारी समिति में कोई सैकड़ा भर किसान टोकन के लिए लाइन में खड़े दिखे परन्तु कुल 400 क्विंटल धान का ही टोकन समिति से काटा गया जो कि 6 किसानों में ही समाप्त हो गया। शेष किसानों को बैरंग ही लौटना पड़ा। लाइन में लगे किसान लहरौद के हृदय राम, जंगल प्लाट के कलप राम पटेल, गोपालपुर के कपूरचंद, लक्ष्मीपुर के आरती एवं राजा सवैया के भूषण ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि उनका टोकन ऑनलाइन नहीं कट पाने के कारण वे समिति में टोकन कटवाने आये है परन्तु यहां भी टोकन के लिए लंबी लाइन है उनका नम्बर आते तक आज का कोटा पूरा हो गया बताया गया इसलिए वे आज भी बेरंग लौट रहे है। टोकन के लिए लगातार समिति के चक्कर काट-काट कर किसान परेशान हो गए है।
खरीदी कोटा कम होने से बढ़ी परेशानी
सहकारी सूत्रों के अनुसार वास्तव में प्रतिदिन धान खरीदी का कोटा कम होने की वजह से किसान परेशान हो रहे है। बताया जाता है कि इस समिति में कुल 85 हजार क्विंटल धान खरीदा जाना है जिसके लिए पूर्व में 4 हजार क्विंटल तक प्रतिदिन धान खरीदा जाता था परन्तु इस वर्ष प्रतिदिन मात्र 1000 क्विंटल ही धान खरीदा गया जिसे बाद में 1500 किया गया। बताया जा रहा है कि किसानों के साथ समिति द्वारा भी कलेक्टर को पत्र लिख कर प्रतिदिन खरीदी का कोटा बढ़ाने की मांग की गई है। क्योंकि वर्तमान कोटा में धान खरीदने से खरीदी के अंतिम 31 जनवारी तक भी पूरे किसानों का धान खरीद पाना मुमकिन नही है लिहाजा प्रतिदिन कम कोटा देखते हुए किसान भी टोकन के कारण धान न बेच पाने की आशंका से भयभीत है।
बहरहाल किसानों ने सरकार से खरीदी तारीख बढ़ाने या प्रतिदिन का कोटा बढ़ाने की मांग की है जिससे सभी पात्र किसान अपानी उपज बेच सके।


