महासमुन्द
ग्रामीणों ने संभावित असर को लेकर आपत्ति दर्ज की
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 4 दिसंबर। सोनाखान-बाघमारा क्षेत्र में सोना खनन की प्रारंभिक खुदाई शुरू होने के बाद कुछ ग्रामीणों और किसानों ने इस कार्य के संभावित प्रभावों को लेकर आपत्ति जताई है। वेदांता कंपनी को यहां खनन कार्य हेतु टेंडर मिला है और कंपनी ने शुरुआती सर्वेक्षण व खुदाई का काम शुरू किया है।
कुछ किसानों का कहना है कि उनके खेतों में मशीनों के उपयोग से मिट्टी को नुकसान पहुंचने की आशंका है। किसानों का यह भी कहना है कि खुदाई के दौरान निकलने वाला मलबा खेतों की उर्वरता को प्रभावित कर सकता है। इसी विषय पर 29 नवंबर को बाघमारा क्षेत्र के ग्रामीणों की बैठक शहीद स्मारक सोनाखान में आयोजित की गई, जिसमें खनन कार्य पर आपत्ति दर्ज करने और आगे की रणनीति तय करने पर चर्चा हुई। देवती, भुसड़ीपाली और अचानकपुर क्षेत्रों में भी इसी विषय पर बैठकें किए जाने की जानकारी सामने आई है।
ग्रामीणों की वन क्षेत्र को लेकर चिंता
ग्रामीणों ने यह भी कहा है कि खनन कार्य आगे बढऩे पर आसपास के वन क्षेत्र पर प्रभाव पड़ सकता है। उनका कहना है कि इलाके में विविध प्रजातियों के पेड़ और वन्यजीव मौजूद हैं और यदि खनन क्षेत्र वनभूमि तक विस्तारित हुआ तो पर्यावरण पर असर पड़ सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने खेतों और आसपास के वन क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं और इसी कारण विरोध पर विचार कर रहे हैं।
संबंधित विभागों की ओर से इस संबंध में आधिकारिक टिप्पणी अभी उपलब्ध नहीं है। न ही खनन क्षेत्र, संभावित वृक्षों की कटाई या पर्यावरणीय प्रक्रिया के संबंध में कोई औपचारिक जानकारी सार्वजनिक की गई है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रारंभिक चरण में कंपनी के प्रतिनिधियों ने मुआवजा और अन्य प्रावधानों के संबंध में चर्चा की थी, जिसके बाद कुछ स्थानों पर खुदाई शुरू की गई। ग्रामीणों का मत है कि यदि विस्तृत खनन कार्य प्रारंभ किया गया, तो इसके प्रभाव के बारे में स्पष्ट जानकारी और सहमति आवश्यक है। कुछ ग्रामीण सोशल मीडिया के माध्यम से भी अपनी चिंताओं को साझा कर रहे हैं।


