महासमुन्द
तैयारियों का जायजा लेने इसी सप्ताह आएगी एनएमसी की टीम, 10 विषयों के लिए 30 नए प्रोफेसर मिलेंगे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 23 नवंबर । मेडिकल कॉलेज में नये सत्र से अब पोस्ट ग्रेजुएट पीजी की कक्षाएं भी शुरू हो जायेगी। इसे लेकर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने तैयारियां शुरू कर दी है। शासन की ओर से पीजी के संचालन के लिये अनुमति मिल चुकी है। इसी सप्ताह एनएमसी दिल्ली की टीम पीजी कोर्स को लेकर यहां की जा रही तैयारियों की जायजा लेने के लिये पहुंचेगी। यदि निरीक्षण में सभी प्रकार की व्यवस्थाएं सही पाई गई तो नये सत्र से पीजी की ती की पढ़ाई शुरू हो जायेगी।
मालूम हो कि एमबीबीएस की पढ़ाई को लेकर वर्तमान में 4 बेच पूरे हो चुके हैं। फ ायनल वर्ष के बाद पोस्ट ग्रेजुएड को लेकर अनुमति मिलती है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने 35 सीटों को लेकर अनुमति मांगी थी। पीजी कक्षाएं शुरू होने के बाद पीजी के 10 विषयों के लिये कुल 30 प्रोफेसर मेडिकल कॉलेज में मिलेंगे।
मिली जानकारी के अनुसार यहां एनाटॉमी डिपार्टमेंट एमडी के लिये 3, फिजियोलॉजी 4, बायोकेमेस्ट्री 3, पैथोलॉजी 4, फार्मेकोलॉजी 4, माइक्रो बायलॉजी 3, कम्युनिटी मेडिसिन 3, सर्जरी 3, एनेस्थिसिया 4 तथा गायनेकोलॉजी के लिये 3 सीटें हंै। इसके साथ ही एमडीएमएस भी शुरू होंगे। यूनिर्वसिटी एफिलेशन के लये इसी सप्ताह दिल्ली से एनएमसी की टीम आयेगी। टीम वर्तमान में चल रही कक्षाओं के सभी विभागों सहित यहां प्रेक्टिकल के लिये शवों की संख्या इंस्ट्रूमेंट्स, छात्रावास की व्यवस्था देखेंगे।
(मेडिकल कालेज महासमुंद में कल शनिवार से फ ोरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट का यूनिर्वसिटी प्रेक्टिकल परीक्षा शुरू हुई है जो 24 नवम्बर तक चलेगी। परीक्षा के साथ ही 2022 बेच के स्टुडेंट फायनल इयर की पढ़ाई करेंगे। इस प्रेक्टिटल में पोस्टमार्टम का मसौदा तैयार है।)
महासमुंद मेडिकल कॉलेज में पीजी स्नातकोत्तरे की पढ़ाई में एमडी डॉक्टर ऑफ मेडिसिन,एमएस मास्टर ऑफ सर्जरी, और डीएम डॉक्टरेट इन मेडिसिन जैसे विभिन्न डिग्री कोर्स शामिल हैं। इनमें कई विशेषज्ञताएं हैं जैसे सर्जरी, बाल रोग, एनेस्थिसियोलॉजी, रेडियोलॉजी और प्रसूति एवं स्त्री रोग, जिनके लिए छात्र विभिन्न एमडी, एमएस और पीजी डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। एमडी डॉक्टर ऑफ मेडिसिन यह एक गैर सर्जिकल विशेषज्ञता है। इसके तहत कई शाखाएं आती हैं। जैसे: आंतरिक चिकित्सा, बाल रोग, त्वचा विज्ञान, मनोविज्ञान, रेडियोलॉजी, एमएस मास्टर ऑफ सर्जरी।
यह एक सर्जिकल विशेषज्ञता है। इसके तहत कुछ उदाहरण हैं जैसे सामान्य सर्जरी, नेत्र विज्ञान, हड्डी रोग, ईएनटी, डीएम डॉक्टरेट इन मेडिसिन और एमसीएच मास्टर ऑफ सर्जरी सुपर स्पेशलिटी कोर्स हैं जो एमडी और एमएस के बाद किए जाते हैं। उदाहरण के लिए कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी अन्य विकल्प। पीजी डिप्लोमा एमडी और एमएस की तुलना में छोटा 1-2 साल और कम अवधि का कोर्स है। इसमें भी विशेषज्ञताएं होती हैं। लेकिन एमडी एमएस की तुलना में इसकी वैल्यू थोड़ी कम मानी जाती है।
एमडीएस मास्टर ऑफ डेंटल सर्जरी मतलब दंत चिकित्सा में रुचि रखने वाले छात्र यह कोर्स कर सकते हैं। मेडिकल कॉलेज के सीनियर प्रोफेसर डॉ.अलखराम वर्मा ने बताया कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की ओर से पीजी आवश्यक तैयारियां की जा रही है। शासन की ओर से मंजूरी मिल चुकी है। इस सप्ताह एनएमसी की टीम के निरीक्षण के बाद स्पष्ट हो जायेगा। हालांकि 35 सीटों के लिये 95 फीसदी उम्मीद है कि यह शुरू हो जाए। बताया कि बिल्डिंग के प्रोग्रेस सहित अस्पताल के विभिन्न विभागों का निरीक्षण करेगी और यहां की रिपोर्ट लेकर दिल्ली जायेगी। यदि रिपोर्ट सही रही तो शीघ्र ही पीजी की कक्ष हो जायेगी। अब एनएमसी को करने की तैयारी की जा रही है।
मेकाहाम से मिली जानकारी के अनुसार मेडिकल में पोस्ट-गोजुएट पीजी का महत्व यह है कि यह डॉक्टरों को विशिष्ट क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करने, करियर के बेहतर अवसर प्राप्त करने, उच्च वेतन कमाने और चिकित्सा क्षेत्र में विशेषज्ञतापूर्ण और उच्च स्तरीय देखभाल प्रदान करने में सक्षम बनाता है। पीजी डिग्री से मरीजों और जूनियर डॉक्टरों दोनों को लाभ होता है, प्रतिष्ठा बढ़ती है और उन्हें स्वास्थ्य सेवा प्रबंधन और अनुसंधान जैसे विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के लिए तैयार करती है।
उन्होंने बताया कि पीजी कोर्स एमडी या एमएस करने से कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी और स्त्री रोग जैसे 30 से अधिक विशिष्ट चिकित्सा क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल होती है। जिससे लक्षित और अत्याधुनिक चिकित्सा देखभाल संभव होती है। पीजी स्नातकों को विशेषज्ञ डॉक्टर के रूप में काम करने के लिए बेहतर करियर अवसर मिलते हैं, साथ ही एमडीएमएस भी शुरू होंगे। पीजी के बाद, आप और भी विशिष्ट क्षेत्रों जैसे डीएम डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन या एमसीएच मास्टर ऑफ चिरुर्जी के लिए जा सकते हैं, जो अत्यंत तकनीकी और विशिष्ट देखभाल के लिए आवश्यक हैं। कुछ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त पीजी कार्यक्रम जैसे एमआरसीपी, एमआरसीओजी भी हैं जो आपको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त दिला सकते हैं।


