महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पिथौरा, 10 सितंबर। खुद की जमीन को ऑनलाइन करने स्थानीय एसडीएम की नोटशीट तहसीलदार के समक्ष प्रस्तुत करने के बाद एक वृद्धा लगातार 7 माह से दफ्तरों के चक्कर लगाकर तंग होकर अब आमरण अनशन करेंगी। उन्होंने इसकी सूचना स्थानीय एसडीएम को दे दी है।
उक्त सम्बन्ध में आवेदिका प्रेमीन बाई पिता कृपा राम डडसेना निवासी पिथौरा ने एसडीएम को दिए आवेदन में बताया कि मेरी स्वयं की भूमि खसरा नं 672/64 रखबा 0,006 हे भूमि दर्ज है जिसका ऋण पुस्तिका नं 0614642 दर्ज है। वर्तमान में मेरी स्वयं की भूमि आरती गुप्ता पति मुकेश गुप्ता के नाम पर ऑनलाईन रिकार्ड में दिख रहा है। इस सबंध में मैंने आपके कार्यालय 7 माह पहले शिकायत करने गई थी। तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी ने मामले को संज्ञान लेते हुए पिथौरा के तहसीलदार नितीन ठाकुर को दूरभाष में चर्चा करके मुझे तहसीलदार पिथौरा के पास निराकरण के लिए भेजा गया था। तहसीलदार पिथौरा के समक्ष जाकर अपनी पीड़ा बताई। तहसीलदार ने आवेदन के साथ जमीन संबंधित सारे दस्तावेज जमा कराकर राजस्व न्यायालय में प्रकरण दर्ज कर मुझे पेशी पर पेशी दिया गया। लगातार कभी पटवारी तो कभी तहसीलदार, आरआई के चक्कर काट करके सभी दस्तावेज जमा कराई। तब तत्कालीन तहसीलदार ने मेरे प्रकरण का आदेश जारी किया। आदेश को लेकर पिथौरा पटवारी के पास गई। तब पटवारी ने आदेश को गलत बताते हुए मुझे वापस भेज दिया, फिर मैंने वर्तमान तहसीलदार के पास अपनी आप बीती बताई।
तहसीलदार के बाबू ने और दस्तावेज मांगे वो भी मैंने उपलब्ध कराए। बाबू ने कहा आदेश त्रुटिपूर्ण है मैंने फिर से वर्तमान तहसीलदार से फरियाद लगाई।
उन्होंने कहा तत्कालीन तहसीलदार ही आदेश को सही करेंगे। महोदय मैं बहुत ही मानसिक रूप से परेशान हूं। मैं बीमार हू मेरा पति नहीं है मैं अकेली वृद्ध महिला अब मैं थक गई हूँ, पिछले 7 महिनों से तहसीलदार पटवारी के चक्कर लगा लगा कर थक गई हूं। मुझे न्याय नहीं मिला मैं 11 सितंबर को सुबह 11 बजे से पिथौरा तहसील कार्यालय के सामने आमरण अनशन पर बैठूंगी। मुझे कुछ भी होता है तो संपूर्ण जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी।
पुनर्विलोकन की कार्यवाही कर मामला निपटाया जाएगा- तहसीलदार
उक्त सम्बन्ध में स्थानीय तहसीलदार नमिता मारकोरे ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि तत्कालीन तहसीलदार द्वारा प्रकरण सुलझा कर नस्तीबद्ध कर दिया गया था। परन्तु कुछ लिपिकिय त्रुटि के कारण ऑनलाइन नहीं हो पाया है। चूंकि नस्तीबद्ध हुए 3 माह से अधिक हो गए, इसलिए पूर्व तहसीलदार भी पुन: प्रकरण नहीं खोल सकते, इसलिए वे एसडीएम से अनुमति लेकर पुन: प्रकरण को पुनर्विलोकन कर मामला सुलझाएगी।