महासमुन्द

सप्ताह भर में खाद नहीं पहुंची तो किसान करेंगे सोसायटियों में तालाबंदी
05-Sep-2025 4:56 PM
सप्ताह भर में खाद नहीं पहुंची तो किसान करेंगे सोसायटियों में तालाबंदी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 5 सितंबर।
बागबाहरा के किसान सहकारी समितियों में समय पर खाद न मिलने की समस्या से जूझते हुए काला बाजारी का शिकार हो रहे हैं। दो गुने कीमत पर खाद खरीदने विवश हैं। इसे लेकर किसानों ने शासन प्रशासन से मांग की है कि वे सप्ताह भर में सोसायटियों में पर्याप्त मात्रा में खाद मुहैय्या कराए अन्यथा वे सोसायटियों में ताला बंदी करने बाध्य होंगे।

उक्तशय की जानकारी एक विज्ञप्ति में किसानों ने दी है और कहा है कि मोदी सरकार देश के किसानों की आय दुगुना करने वचनबद्ध थी। लेकिन यह सालों बीत जाने के बाद भी किसानों को समय पर खाद दवाई बिजली पानी सहित फसलों के उचित दाम नहीं दे रही है। उल्टा तमाम उत्पादों पर भारी भरकम टैक्स वसूली कर किसानों की ही जेबें खाली कर रही है और सरकार की लचर व्यवस्था के चलते सही समय पर खाद की आपूर्ति नहीं करने से किसानों को खुले बाजार में 3 गुना दाम पर यूरिया खाद खरीदने विवश हो रहे हैं।
उन्होंने कहा है कि सरकार के पास किसानों के के खाद की मांग के पूरे आंकड़े होने के बाद भी सरकारी वितरण व्यवस्था में खाद का पर्याप्त भंडारण नहीं करना सरकार की सबसे बडी खामियां और विफलता है। उन्होंने कहा है कि किसानों की इस समस्या हल करने सरकार को खाद वितरण व्यवस्था की समीक्षा करनी चाहिए थी और यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद मिले। लेकिन पूरा सिस्टम फेलियर साबित हुआ है। सहकारी समितियों में खाद की आपूर्ति में कृत्रिम अभाव पैदा कर दिया। वहीं खुले बाजार में खाद की बंपर आवक हुई और क्षेत्र में खाद की मांग बढ़ते ही उनकी चांदी हो गई ।

आज स्थिति यह है कि बाजार में खाद के दाम में बेहद बढ़ोतरी कर उन्हें किसानों को खुलेआम लूटा जा रहा है और प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है। इसका सीधा असर फसलों पर पड़ रहा है। किसानों ने खेतों की निंदाई, रोपाई कर फसलों को तैयार करने में अपनी जमा पूंजी के साथ कर्ज लेकर अच्छे उत्पादन के आस में खेतों में झोंक दी है। लेकिन मौजूदा दौर में सरकार द्वारा समितियों में खाद नहीं भेजे जाने से फसल बोआई रोपाई के समय की पहली खुराक डीएपी खाद का समुचित भंडारण नहीं किया गया और अब युरिया खाद छिडक़ाव के समय यूरिया का भंडारण नहीं है। ऐसी स्थिति में किसानों को खुले बाजार में 19 सौ से 22 सौ रुपए तक डीएपी खाद तथा 8 सौ से लेकर एक हजार रुपए तक यूरिया खाद खरीदी करना पड़ रहा है। शासन-प्रशासन की वजह से उत्पन्न खाद के कृत्रिम प्रकोप का कहर तमाम किसानों पर पड़ रहा है। किसान कर्ज में लदते जा रहे हैं और खाद कारोबारी मालामाल हो रहे हैं।

किसान नेता जनपद सदस्य पारस सांखला, राहुल चंद्राकर,गोविंद चंद्राकर, पवन चंद्राकर,कुमार डीडी, घनश्याम चंद्राकर, मंगतूराम ध्रुव, कार्तिकराम चक्रधारी, ललित चंद्राकर, तरुण चंद्राकर, बरसाती साहू, कोमल साहू, धनीराम मरकाम, विश्वनाथ साहू, खेमराज सिन्हा, बाबा जगत, प्रीतम यादव, खिरसाय पटेल, रामजी चक्रधारी, जीवन जगत, पृथ्वी साहू, लाला यादव ने छत्तीसगढ़ सरकार व जिला प्रशासन से मांग करते हुए चेतावनी दी है कि जिला क्षेत्र के तमाम सहकारी समितियों में सप्ताह भर के भीतर खाद भंडारण सुनिश्चित करें अन्यथा क्षेत्र के तमाम सोसायटियों में किसान तालाबंदी करने बाध्य होंगे। जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी।


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