महासमुन्द

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 3 सितंबर। गणेश प्रतिमाओं का स्वरूप बदलकर एआई रूप बनाम कार्टून और क्यूट गणेश जी को लेकर अब विवाद शुरू हो चुका है। विश्व हिंदू परिषद ने इस बाबत एसपी महासमुंद को ज्ञापन भी सौंपा है।
इस बार महासमुंद जिले में भी गणेश जी की एआई रूप वाली मूर्तियों की स्थापना बहुत से स्थानों पर की गई है। इन मूर्तियों में गजानन के सूंड और कान को बहुत छोटा दिखाया गया है। अधिकांश मूर्तियां एआई के हिसाब से तैयार हैं। इसे सनातन धर्म का अपमान कहते हुए विश्व हिंदू परिषद ने कहा है कि गणेश जी की मूर्तियां वैदिक मान्यताओं के अनुरूप हो।
विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष हर्ष चंद्राकर ने कहा कि भगवान श्री गणेश की प्रतिमाओं को शास्त्र सम्मत न बना विकृत स्वरूप देकर सनातन धर्म का अपमान जाने-अनजाने में कुछ मूर्तिकार तथा गणेश समितियों द्वारा किया जा रहा है। इस पर तत्काल रोक लगाना आवश्यक है।
गौरतलब है कि महासमुंद के अनेक स्थानों पर भगवान गणेश की प्रतिमाओं को आधुनिक और कार्टूननुमा रूप देकर तैयार किया गया है। हालांकि गणपति को सदियों से पारंपरिक रूप में पूजा जाता रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में कुछ मूर्तिकार और कारोबारी गणेश प्रतिमाओं को क्यूट, कार्टून, और आधुनिक अंदाज में बनाकर बाजार में बेच रहे हैं। इस बार तो अधिकांश स्थानों पर कार्टून अथवा क्यूट गणेश की प्रतिमाएं विराजित हैं। अब इससे धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंचने लगी है। इन मूर्तियों में भगवान गणेश के पारंपरिक स्वरूप को विकृत कर व्यंग्यात्मक और हास्यजनक ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है। विहिप का कहना है कि इस तरह की मूर्तियां त्योहार की गंभीरता और धार्मिक भावना को आहत करती हैं। जिलाध्यक्ष हर्ष चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ से कहा कि आज हम सभी सनातनियों को इस विषय पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है कि हम अपनी भावी पीढ़ी को अपने धर्म और परम्परा से किस प्रकार साक्षात्कार करा रहे हैं। हमारे वेदों और पुराणों में हर देवी देवताओं को एक मूल स्वरूप में प्रस्तुत किया गया है। जिसके आधार पर हम उनकी उपासना करते है। आधुनिक युग में व्यक्ति अपने बच्चों को वेद पुराण की ज्ञान नहीं दे पा रहा। ऐसे में यह पर्व, उत्सव के माध्यम से ही हम भावी पीढ़ी को संस्कृति व परंपरा से अवगत कराते हैं। लेकिन इस तरह की प्रतिमाओं से सनातन धर्म का मजाक बनाया जा रहा है। उन्होंने मांग की है कि ऐसी सभी प्रतिमाओं के पंडालों में जाकर प्रशासन चिन्हित करें तथा उन्हें भविष्य में इस तरह की प्रतिमाओं के स्थापना पर सख्ती से रोक लगाएं। साथ ही भविष्य में इस तरह की मूर्तियों का निर्माण और बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित की जाए।
साथ ही भविष्य में इस तरह की मूर्तियों का निर्माण और बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित की जाए। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते प्रशासन कार्रवाई नहीं करेगी तो भावी पीढ़ी पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
श्री चंद्राकर ने आगे कहा कि भगवान गणेश को क्यूट या कार्टून स्वरूप में दिखाना धार्मिक मान्यताओं के साथ खिलवाड़ है। कलाकारों को अपनी रचनात्मकता का इस्तेमाल करते समय परंपराओं और भावनाओं का ध्यान रखना चाहिए। आज भगवान को अनेक स्थानों पर अन्य देवी देवताओं का स्वरूप दे दिया गया है। इसके अलावा अनेक स्थानों पर फिल्म के पात्रों का रूप देना पण्डालों में फि़ल्मी गीत चलाये जाना सनातन का घोर अपमान है। विश्व हिंदू परिषद इसका पुरज़ोर विरोध करता है तथा सभी हिंदू सनातनियों से अपील करता है कि ऐसे सनातन विरोधी कार्य का विरोध करे जो की हर सनातनी का कर्तव्य है।