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'छत्तीसगढ़' संवाददाता
राजनांदगांव, 27 जून। घोर नक्सल प्रभावित गातापार थाना के भावे में पांच दिन पहले हुए एक अधेड़ आदिवासी ग्रामीण की कथित नक्सल हत्या से पुलिस ने पर्दा हटाते हुए वारदात में शामिल 5 में से चार लोगो को गिरफ्तार कर लिया है। 24 जून को भावे गांव के बाहर जंगल मे 60 साल के राजवंशी सिरसाम की लाश मिली।
इस घटना को गांव में कथित नक्सल हत्या के रूप में प्रचारित करते हुए दहशत कायम करने की पूरी कोशिश के बीच पुलिस ने हत्या के असली कारणों की जांच शुरू की। पुलिस ने जानकारी में पाया कि मृतक का आपराधिक रिकॉर्ड रहा है। वह अपने भाई व भाभी की हत्या के आरोप में करीब पांच साल जेल में रहने के बाद गांव लौटा था। इस दौरान वह ग्रामीणों के साथ जेल में रहने का धौंस दिखाकर आतंक मचाने लगा। वह ग्रामीणों से उलझने लगा।
बताया जाता है कि कुछ साल पहले नक्सलियों ने लामू गोंड नामक एक ग्रामीण की हत्या कर दी थी। इस वारदात के लिए गांव के लोग मृतक को दोषी मान रहे थे। ग्रामीणों को शक था कि मृतक की सूची पर ही नक्सलियों ने लामू गोंड को मौत के घाट उतार दिया। वहीं मृतक सिरसाम पर ग्रामीणों को जादू-टोना करने की शंका भी थी। इसी बात से भड़के गांव के पांच ग्रामीण पननू उइके, बघेल सिंह, नर्मदा उइके, छोटेलाल वरकडे व तिवारी वरकडे ने सामूहिक रूप से मिलकर राजवंशी सिरसाम की हत्या कर शव को जंक में फेंक दिया।
इस संबंध में एएसपी जीएन बघेल ने बताया कि मृतक को आरोपियों ने योजना के तहत शराब में कीटनाशक दवा मिलाकर बेहोश करने के बाद धारदार हथियार से मारकर हत्या कर दी। फिर लाश को नक्सली घटना बताने की नियत से जगंल में फेंक दिया। वारदात में शामिल एक आरोपी तिवारी वरकडे फरार हैं। पुलिस का कहना हैं कि मृतक के खराब बर्ताव से परेशान होकर ही आरोपियों ने हत्या जैसा संगीन जुर्म किया है।