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चीन पर सरकार के दुतरफा रुख पर कांग्रेस ने घेरा
21-Jun-2020 7:55 PM
चीन पर सरकार के दुतरफा रुख पर कांग्रेस ने घेरा

पूछे तीखे सवाल, मोदी से मांगे जवाब 

नई दिल्ली, 21 जून ( 'छत्तीसगढ़' संवाददाता ). कांग्रेस पार्टी ने आज चीन के मुद्दे पैर सरकार से तीखे सवाल किये और प्रधानमंत्री से कहा की वे खुलकर देश को सच बताये। सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री की टिप्पणी को लेकर सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कई सवाल खड़े किये।

उन्होंने कहा - गलवान घाटी, पांगोंग त्सो झील के इलाके तथा हाॅट स्प्रिंग्स में चीनी सेना की घुसपैठ किसी भी स्थिति में अस्वीकार्य है।हमारी भूभागीय अखंडता पर कोई समझौता स्वीकार नहीं किया जा सकता। हमारी सरजमीं हड़पने के हर चीनी मनसूबे को हम नाकाम कर देंगे। चीन किसी हालत में भारत की सरजमीं का कोई हिस्सा नहीं हड़प सकता। पिछले 53 सालों में, चाहे 1967 में नाथू ला का टकराव हो, 1986 में अरुणाचल प्रदेश की सुम डोरोंग चु घाटी या फिर लद्दाख में 2013 में डेपसांग घाटी का संघर्ष हो, हर बार भारतीय सेना ने चीनी सेना को पीछे हटने को मजबूर किया है।

सिब्बल ने अपने बयान में आगे कहा - सुरक्षा विशेषज्ञों, सेना के अनेकों रिटायर्ड जनरलों एवं सैटेलाईट पिक्चरों ने लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पार चीनी सेना की घुसपैठ की पुष्टि की है। रक्षामंत्री व विदेश मंत्री का बयान व विदेश मंत्रालय का 17 जून, 2020 व कल 20 जून, 2020 का बयान भी अप्रैल-मई, 2020 से आज तक गलवान वैली, पांगोंग त्सो लेक इलाके व हाॅट स्प्रिंग्स में अनेकों षडयंत्रकारी घुसपैठ की चर्चा करते हैं। देश कभी भूल नहीं सकता कि कर्नल बी. संतोष बाबू व हमारे 19 जवानों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया। पर केंद्र सरकार पूरे मामले पर टालमटोल कर रही है। सरकार को चीन के सामने मजबूत रवैया रखते हुए सुनिश्चित करना पड़ेगा कि चीनी सेना वापस हट जाए एवं एलएसी पर पहले जैसी यथास्थिति बहाल हो।

उन्होंने कहा - सर्वदलीय बैठक को संबोधित करते हुए लाईन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के पार चीनी घुसपैठ के बारे प्रधानमंत्री जी ने स्पष्ट कहा: किसी ने हमारे इलाके में घुसपैठ नहीं की है, कोई हमारे इलाके में घुसपैठ करे नहीं बैठा है व हमारी पोस्ट पर किसी का कब्जा नहीं है। केंद्र सरकार को हमारी सेना, हमारे पूर्व सैनिकों, शहीदों के परिवारों तथा भारत के हर नागरिक को 5 सवालों के जवाब देने होंगे:-

  • क्या प्रधानमंत्री का बयान कर्नल बी. संतोष एवं 19 जवानों की शहादत का अपमान नहीं, जिन्होंने गलवान घाटी में हमारी जमीन से चीनी सैनिकों को खदेड़ने के लिए अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया? क्या केंद्र सरकार का मतलब है कि उनका बलिदान व्यर्थ है?
  • क्या यह सही नहीं कि चीन ने गलवान घाटी पर पहले कभी भी अपना हक नहीं जताया? क्या यह सही नहीं कि चीन ने अब गलवान घाटी में घुसपैठ का दुस्साहस किया है? 
  • पांगोंग त्सो झील के इलाके में लगभग 8 किलोमीटर अंदर तक चीनी सेना द्वारा घुसपैठ करने, बंकर एवं बोट पैड्स सहित 60 से ज्यादा स्थायी ढांचे बनाने व फिंगर 4 तक कब्जा करने बारे सुरक्षा विशेषज्ञों, सैन्य जनरल के बयानों तथा सैटेलाईट इमेजरी के बावजूद केंद्र सरकार चीन द्वारा की गई घुसपैठ को खारिज क्यों कर रही है?

उन्होंने कहा -प्रधानमंत्री ने सर्वदलीय बैठक को यह क्यों कहा कि ‘हमारी जमीन पर किसी ने घुसपैठ नहीं की’? पीएमओ ने अपने आधिकारिक बयान से इन शब्दों को क्यों हटा दिया? और यदि, ‘हमारी जमीन में किसी ने घुसपैठ नहीं की’, तो हमारे 20 जवान कैसे शहीद हुए? 85 जवान गंभीर रूप से घायल कैसे हुए और चीनी सेना द्वारा हमारे 10 सैन्य अधिकारियों व जवानों को कब्जे में क्यों लिया गया? विदेश मंत्रालय का कल, 20 जून, 2020 का बयान, चीनी सेना द्वारा घुसपैठ न किए जाने बारे प्रधानमंत्री के बयान से उलट क्यों है?

उन्होंने कहा -प्रधानमंत्री, अपने ही रक्षामंत्री तथा विदेश मंत्री के इस बयान को क्यों खारिज कर रहे हैं कि ‘चीनी सेना ने गलवान घाटी में हमारी ओर ढांचा खड़ा करने’ का प्रयास किया? प्रधानमंत्री अपने ही रक्षामंत्री के बयान कि चीनी सैनिकों की ‘बड़ी संख्या में मौजूदगी’ है तथा विदेश मंत्री के बयान कि हम एलएसी पर ‘पूर्व की यथास्थिति बहाल करने का प्रयास कर रहे हैं’ को क्यों झुठला रहे हैं? यदि ‘हमारी सीमा में कोई घुसपैठ नहीं हुई’ और ‘हमारी सरजमीं पर किसी ने घुसपैठ नहीं की’, तो फिर चीन ने कौन से ढांचे बनाए व सरकार ‘पहले की स्थिति बहाल करने’ या फिर ‘डिसइंगेज़मेंट’ के बारे बयानात क्यों दे रही है?

श्री सिब्बल ने कहा - यह साफ है कि 19 जून, 2020 का प्रधानमंत्री जी का बयान रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री और हमारे सेनाध्यक्ष के बयानों के विपरीत है। 

भारत की भूभागीय अखंडता की रक्षा के लिए उठाए जाने वाले हर निर्णय को लागू करने बारे पूरा देश हमारी सेना तथा देश की सरकार के साथ खड़ा है।भारत की सेना पूरी ताकत से भारत की भूभागीय अखंडता की रक्षा करने में सक्षम है व इसे हर भारतवासी का पूर्ण समर्थन है। हम राष्ट्रीय सुरक्षा पर समझौता कभी स्वीकार नहीं करेंगे। पर क्या प्रधानमंत्री ने अपने बयान से चीनियों के इस षडयंत्रकारी रुख को बल तो नहीं दे दिया कि उन्होंने हमारी सरजमीं में घुसपैठ नहीं की है? प्रधानमंत्री को आगे आकर स्पष्टीकरण देना चाहिए।


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