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अगली सुनवाई में मांगी विस्तृत प्रगति रिपोर्ट
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 20 नवंबर। सेंदरी मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सालय में स्टाफ की कमी और अव्यवस्था को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने शासन को निर्देश दिए कि नियमों और प्रावधानों के अनुसार तत्काल स्टाफ की भर्ती की जाए और आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था भी सुनिश्चित की जाए। शासन ने बताया कि भर्ती और अन्य प्रक्रियाएं जारी हैं।
हाईकोर्ट के निर्देश पर हाल ही में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव ने सेंदरी अस्पताल का निरीक्षण किया था। यहां स्टाफ की कमी, संसाधनों की दिक्कत और कई बुनियादी व्यवस्थाओं की अनुपस्थिति सामने आई। कोर्ट ने कहा कि राज्य के इकलौते मानसिक अस्पताल में इस तरह की लापरवाही स्वीकार्य नहीं है, इसलिए मामले की मॉनिटरिंग जारी रहेगी।
याचिका में बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के हिसाब से 10 हजार आबादी पर एक मनोचिकित्सक होना चाहिए, जबकि छत्तीसगढ़ में लगभग 8 लाख जनसंख्या पर एक मनोचिकित्सक उपलब्ध है। प्रदेश के प्रत्येक जिले में मानसिक स्वास्थ्य केंद्र और मनोचिकित्सक होना चाहिए, लेकिन सेंदरी अस्पताल में 11 स्वीकृत पदों में से सिर्फ 3 मनोचिकित्सक ही कार्यरत हैं।
कोर्ट कमिश्नर ने सुनवाई के दौरान अस्पताल की वास्तविक स्थिति बताते हुए कहा कि डॉक्टर और स्टाफ रोजाना केवल एक से डेढ़ घंटे ही अस्पताल में मौजूद रहते हैं, जबकि तय समय सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक का है। उपस्थिति पंजी और सीसीटीवी फुटेज में भी यह बात साफ हुई।
वाटर कूलर खराब है, सफाई की स्थिति भी बेहद खराब बताई गई। इस पर कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई।
शासन ने अपने जवाब में कहा कि कुछ कमियां जरूर हैं, लेकिन स्टाफ रोस्टर और ड्यूटी के अनुसार काम हो रहा है। मरीजों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त गार्ड मौजूद हैं। फार्मासिस्ट की भी कोई कमी नहीं है।
वहीं कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि अस्पताल की वर्तमान स्थिति अभी भी संतोषजनक नहीं है और डॉक्टरों की उपलब्धता शासकीय व्यवस्था के हिसाब से बहुत कम है।
हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया, संसाधनों की व्यवस्था और सुधारात्मक कदमों की विस्तृत रिपोर्ट अगली सुनवाई में मांगी है।


