ताजा खबर
कहा- अफसरों की जवाबदेही सर्विस रिकॉर्ड में दर्ज करें
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 20 नवंबर। रतनपुर-केंदा मार्ग पर तेज रफ्तार हाइवा की चपेट में आकर 17 मवेशियों की दर्दनाक मौत के मामले में दायर स्वतः संज्ञान जनहित याचिका पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की। सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने बेहद सख्त लहजा अपनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट लगातार इस मुद्दे की मॉनिटरिंग कर रहा है, फिर भी हालात में ठोस सुधार नहीं दिख रहा।
कोर्ट ने याद दिलाया कि पहले ही नगर निगम से लेकर पंचायत स्तर तक की जिम्मेदारी तय कर दी गई थी, लेकिन जमीन पर इसका असर नजर नहीं आ रहा। अदालत ने इसे दुखद और चिंताजनक बताते हुए कहा कि यह स्पष्ट रूप से मिसमैनेजमेंट का मामला है।
वर्ष 2019 में सड़क पर बैठने वाले मवेशियों, सड़क हादसों और खराब सड़कों से संबंधित दो जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया था कि इस समस्या से निपटने के लिए एसओपी लागू कर दी गई है।
लेकिन चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने फिर दोहराया कि एसओपी सिर्फ फाइलों में नहीं, मैदान में सख्ती से लागू होनी चाहिए। अदालत ने कहा कि बेसहारा पशुओं का मुद्दा सिर्फ ग्रामीणों का नहीं बल्कि पूरी जनता की सुरक्षा से जुड़ा मामला है।
सरकार की ओर से बताया गया कि पुलिस ने हादसों को लेकर वाहन चालक और मवेशी मालिकों दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
वहीं, पिछली सुनवाई में महाधिवक्ता ने कहा था कि अब नगरीय निकायों और पंचायतों के अधिकारियों की जवाबदेही तय की जा रही है।
इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि सिर्फ जवाबदेही तय न करें, इसे संबंधित अफसरों के सर्विस रिकॉर्ड में भी दर्ज किया जाए। गौरतलब है कि खराब सड़कों, सड़क पर बैठे मवेशियों, हादसों में उनकी मौत और जन-समस्याओं से जुड़ी कई जनहित याचिकाओं पर हाईकोर्ट लंबे समय से सुनवाई कर रहा है।


