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-इमरान क़ुरैशी
कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे के विधानसभा क्षेत्र चित्तापुर में आरएसएस का रूट मार्च (पथ संचलन) रविवार को शांतिपूर्ण तरीक़े से पूरा हो गया. बीते दिनों इसे लेकर काफ़ी विवाद हुआ था.
कलबुर्गी ज़िले के चित्तापुर में 50 सदस्यों वाले बैंड के साथ 300 स्वयंसेवक डेढ़ किलोमीटर तक सड़कों पर चले. इस दौरान लोगों ने उन पर फूल बरसाए.
रास्ते में खड़े आरएसएस समर्थकों ने 'भारत माता की जय', 'जय श्री राम' जैसे नारे लगाए. यह रूट मार्च संगठन के शताब्दी समारोह का हिस्सा था.
आरएसएस की कलबुर्गी इकाई के संयोजक अशोक पाटिल ने बीबीसी न्यूज़ हिन्दी को बताया, "यह (रूट मार्च) शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ."
उन्होंने कहा, "पुलिस ने जो निर्देश दिया था, उसके मुताबिक़ हमने पथ संचलन में हिस्सा लेने वाले सभी लोगों के नाम और पते दिए थे."
पुलिस ने किसी भी अप्रिय कानून-व्यवस्था की स्थिति को रोकने के लिए तालुका मुख्यालय के बाहर से लोगों की एंट्री रोक दी थी. कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 650 से ज़्यादा पुलिसकर्मी और 250 होमगार्ड तैनात किए गए थे.
इस रूट मार्च पर प्रियांक खड़गे ने कहा, "आरएसएस के साथ संघर्ष अभी शुरू हुआ है."
यह रूट मार्च पहले 2 नवंबर को होना था. हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने इसकी मंज़ूरी देने से इनकार कर दिया था और इस वजह से इसे स्थगित कर दिया गया था.
प्रशासन ने रूट मार्च की मंज़ूरी देने के लिए हालात को "अनुकूल नहीं" बताया था. प्रशासन का कहना था कि दलित संगठनों ने आरएसएस के साथ उसी समय और उसी रास्ते पर जुलूस निकालने की मांग की थी. इसके लिए उसे अर्ज़ी मिली थी.
आरएसएस ने कर्नाटक हाई कोर्ट की कलबुर्गी बेंच के सामने प्रशासन के आदेश पर सवाल उठाया था.
जस्टिस एमजीएस कमल ने एडवोकेट जनरल शशिकिरण शेट्टी से इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक शांति बैठक बुलाने को कहा था ताकि आरएसएस अपना रूट मार्च निकाल सके.
आख़िर में कोर्ट ने इस रूट मार्च को लेकर सरकार के प्रस्ताव और आरएसएस के वकील सीनियर एडवोकेट अरुण श्याम की ओर से बैंड सदस्यों की संख्या 24 से बढ़ाकर 50 करने की अपील को मंज़ूरी दे दी थी.
प्रियांक खड़गे ने कहा था कि अब समय आ गया है कि आरएसएस भी दूसरे संगठनों की तरह स्थानीय अधिकारियों को सूचित करने के बजाय सरकार से मंज़ूरी मांगे. (bbc.com/hindi)


