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11 साल अलग रही पत्नी से तलाक की अनुमति मिली
16-Nov-2025 11:37 AM
11 साल अलग रही पत्नी से तलाक की अनुमति मिली

शारीरिक संबंध से इनकार को हाईकोर्ट ने माना मानसिक क्रूरता, ट्रायल कोर्ट का फैसला पलटा

बिलासपुर, 16 नवंबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस एके प्रसाद की डिवीजन बेंच ने तलाक के एक मामले में फैसला देते हुए कहा है कि पति को शारीरिक संबंध बनाने से रोकना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को पलटते हुए पति की तलाक की अपील स्वीकार कर ली। साथ ही पति को निर्देश दिया गया है कि वह पत्नी को दो महीने में 20 लाख रुपये स्थायी गुजारा भत्ता दे।

अंबिकापुर के 45 वर्षीय व्यक्ति की शादी मई 2009 में रायपुर की महिला से हुई थी। पति का आरोप था कि शादी के एक महीने बाद ही पत्नी उसे छोड़कर मायके चली गई और वैवाहिक दायित्व निभाने से इनकार कर दिया। 2013 में पत्नी कुछ समय के लिए अंबिकापुर लौटी, लेकिन शारीरिक संबंध बनाने से लगातार मना करती रही। पति का कहना था कि पत्नी ने संबंध बनाने पर आत्महत्या की धमकी तक दी। मई 2014 से वह मायके में रह रही है और कभी वापस नहीं आई।

पत्नी ने पति के आरोपों को झूठा बताया और कहा कि पति एक साध्वी के भक्त हैं और योग-साधना में डूबे रहते हैं, इसलिए उन्हें वैवाहिक संबंधों में रुचि नहीं थी। पत्नी ने यह भी आरोप लगाया कि पति बच्चे नहीं चाहते थे और उसने मानसिक व शारीरिक उत्पीड़न सहा। हालांकि, उसने वैवाहिक अधिकार बहाली के लिए जो अर्जी लगाई थी, उसे बाद में वापस ले लिया। फैमिली कोर्ट ने पहले पति की तलाक याचिका को खारिज कर दिया था।

पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील की। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पाया कि दोनों 11 साल से अलग रह रहे हैं और पत्नी ने स्वयं माना कि वह अब पति के साथ नहीं रहना चाहती। अदालत ने कहा कि लंबे समय तक अलगाव और वैवाहिक जीवन में लौटने से इनकार को मानसिक क्रूरता माना जाएगा। इसी आधार पर कोर्ट ने तलाक मंजूर कर लिया।


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