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नयी दिल्ली, 13 नवम्बर। एक नये अध्ययन में दावा किया गया है कि मुंबई में हर साल मानसून के दौरान होने वाली कुल मौतों में से आठ प्रतिशत मौतें अत्यधिक वर्षा और बाढ़ से जुड़ी होती हैं, जिनमें से 80 प्रतिशत से अधिक मौतें झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोगों की होती हैं।
यह आंकड़ा प्रतिवर्ष लगभग 2,300 से 2,700 मौतों के बराबर है। अध्ययन में कहा गया है कि अत्यधिक वर्षा और बाढ़ के बाद बच्चों में मृत्यु का खतरा सबसे अधिक बढ़ जाता है, जबकि महिलाओं में यह जोखिम पुरुषों की तुलना में अधिक होता है।
यह निष्कर्ष ‘नेचर’ पत्रिका में प्रकाशित हुए हैं।
अमेरिका के प्रिंसटन विश्वविद्यालय और मुंबई स्थित ग्रीन ग्लोब कंसल्टिंग के शोधकर्ताओं ने कहा कि खराब जल निकासी व्यवस्था जैसी अपर्याप्त शहरी अवसंरचना अत्यधिक मौसम घटनाओं के प्रभाव को और बढ़ा देती है तथा शहरी आबादी के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ रहा है और अधिक लोग बाढ़-प्रवण क्षेत्रों में बस रहे हैं, यह समझना अत्यंत जरूरी है कि वर्षा और समुद्र-स्तर में वृद्धि सार्वजनिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है।
टीम ने वर्ष 2006 से 2015 के बीच मुंबई में मृत्यु के आंकड़ों और वर्षा के रिकार्डों का विश्लेषण किया ताकि यह समझा जा सके कि 150 मिलीमीटर या उससे अधिक वर्षा वाले दिनों के बाद मृत्यु दर में कितना इज़ाफा होता है।
शोध में पाया गया कि मानसून के दौरान मुंबई में होने वाली कुल मौतों में से आठ प्रतिशत से अधिक का संबंध वर्षा से है, और इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक मौतें झुग्गी बस्तियों में रहने वालों की होती हैं।
अध्ययन में कहा गया है, “बच्चों में वर्षा के कारण मृत्यु का जोखिम सबसे अधिक बढ़ जाता है, जबकि महिलाओं में यह जोखिम पुरुषों से अधिक है।”
टीम ने यह भी पाया कि एक दिन में 150 मिलीमीटर वर्षा के बाद मुंबई में सामान्य मृत्यु दर में 2.2 प्रतिशत और झुग्गी बस्तियों में 2.9 प्रतिशत तक वृद्धि देखी गई, जो अगले पांच सप्ताह तक बनी रहती है।
शोधकर्ताओं के अनुसार, इसका कारण बाढ़ के बाद फैलने वाले रोग — जैसे डेंगू, मलेरिया और टाइफाइड — हो सकते हैं।
यह अनुमान अपने तरह का पहला शहर-स्तरीय अध्ययन है, जिसने वर्षा से जुड़ी मौतों में आंतरिक असमानताओं को उजागर किया है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि वर्षा से जुड़ी मौतों के ये अनुमान सरकारी आंकड़ों से कहीं अधिक हैं और यह दिखाते हैं कि बेहतर जल निकासी, स्वच्छता और कचरा प्रबंधन में निवेश की तत्काल जरूरत है।
टीम ने अनुमान लगाया कि मुंबई में वर्षा से जुड़ी मौतों की आर्थिक लागत हर साल करीब 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर के बराबर है।
अध्ययन में यह भी पाया गया कि ऊंचे ज्वार के दौरान वर्षा होने पर मौतों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है, जिससे यह संकेत मिलता है कि समुद्र-स्तर में वृद्धि ऊंची ज्वार के प्रभाव को और बढ़ाकर अतिरिक्त मौतों का कारण बन सकती है। (भाषा)


