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सबरीमालाइमेज स्रोत,VIVEK NAIR इमेज कैप्शन,मौजूदा विवाद के केंद्र में सबरीमाला मंदिर के द्वारपालों की दो सोने से जड़ी मूर्तियां हैं. ये मूर्तियां मंदिर के गर्भ गृह के बाहर रखी हैं. ....में
-गीता पांडे, अशरफ़ पदन्ना
दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर उस समय विवाद में फंस गया जब केरल हाई कोर्ट ने कहा कि इस बात के सबूत मिले हैं कि कुछ मूर्तियों से सोने का आवरण हटा लिया गया है.
भारत के मंदिरों में प्रतिमाओं और मंदिर की मूर्तियों पर सोने-चांदी का आवरण चढ़ाना आम बात है, ये काम मंदिर को दान किए गए श्रद्धालुओं के पैसे से होता है.
सबरीमाला मंदिर में हर साल लाखों तीर्थयात्री दर्शन के लिए आते हैं और इसलिए वहां हुई चोरी ने श्रद्धालुओं को हैरान कर दिया है और अब ये सुर्खियों में है.
इस मामले की जांच के लिए केरल हाई कोर्ट ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है.
पुलिस ने सोने के गायब होने की जांच शुरू कर दी है और मंदिर के एक पूर्व सहायक पुजारी सहित तीन लोगों को गिरफ़्तार किया है.
जांच की निगरानी कर रही दो न्यायाधीशों की पीठ सितंबर से इस मामले में नियमित सुनवाई कर रही है.
हिंदू देवता भगवान अयप्पा को समर्पित यह पहाड़ी मंदिर, कुछ साल पहले भी सुर्खियों में रहा था.
इस मंदिर में मासिक धर्म की आयु वाली महिलाओं का प्रवेश वर्जित है और सुप्रीम कोर्ट ने इस भेदभाव को समाप्त करने का आदेश दिया था.
लेकिन विरोध प्रदर्शनों के बाद, अदालत ने अपने ऐतिहासिक फैसले पर पुनर्विचार करने पर सहमति जताई और अपने आदेश को स्थगित कर दिया.
मौजूदा विवाद मंदिर के गर्भगृह के ठीक बाहर लगी द्वारपालों की दो मूर्तियों को लेकर है. गर्भगृह में मुख्य देवता की मूर्ति है.
अदालत से नियुक्त सबरीमाला विशेष आयुक्त की रिपोर्ट में जानकारी सामने आई थी कि कई जगहों पर मूर्तियों से सोने का आवरण उतार लिया गया था. इसके बाद अदालत ने सितंबर में इस मामले की सुनवाई शुरू की थी.
सुनवाई के दौरान एक के बाद एक आदेशों में, जस्टिस राजा विजयराघवन वी और केवी जयकुमार ने कहा कि उन्होंने मंदिर के अधिकारियों द्वारा जमा किए गए अभिलेखों, पहले और बाद की तस्वीरों और अन्य दस्तावेज़ों को देखा है.
इन्हें एसआईटी ने "भगवान अयप्पा की पवित्र मूल्यवान वस्तुओं की चोरी से जुड़े इस असाधारण मामले" में इकट्ठा किया है.
जजों ने कहा कि जब उन्होंने मंदिर के अधिकारियों को मूर्तियों की मरम्मत से संबंधित पूरी फ़ाइलें और रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया, तो "हमें यह एहसास ही नहीं था कि हम वास्तव में ततैयों के एक छत्ते को खोल रहे हैं."
मंदिर के अभिलेखों से पता चलता है कि 30.291 किलोग्राम सोना, अब बदनाम हो चुके भगोड़े अरबपति व्यवसायी विजय माल्या द्वारा दान किया गया था.
साल 1998-99 में इसका इस्तेमाल मूर्तियों और मंदिर के कई हिस्सों को सोने से मढ़ने के लिए किया गया था, जिनमें कुछ स्तंभ, दरवाज़ों के मेहराब और भगवान अयप्पा की कहानियों को दर्शाने वाले पैनल शामिल हैं.
अदालत का कहना है कि जुलाई 2019 में मंदिर का प्रबंधन करने वाले त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) ने मुख्य संदिग्ध उन्नीकृष्णन पोट्टी और सबरीमाला के एक पूर्व सहायक पुजारी को सोने का नया आवरण चढ़ाने के लिए, मूर्तियों को बाहर ले जाने की अनुमति दी थी.
दो महीने बाद जब उन्हें वापस लाया गया तो उनका वज़न नहीं तौला गया था, लेकिन अदालत का कहना है कि बाद की जांच से पता चला कि उनका वज़न काफ़ी कम था.
एसआईटी की आगे की जांच में चौकियों और चौखटों से भी चोरी का पता चला है और अदालत का कहना है कि 2019 से अब तक लगभग 4.54 किलोग्राम सोना गायब हो चुका है.
न्यायाधीशों ने गायब सोने के केस का ज़िक्र करते हुए इसे "सोने की चोरी और लूट" कहा.
अदालत ने कहा कि बेहद असामान्य बात यह थी कि पोट्टी को मूर्तियां बाहर ले जाने की अनुमति दी गई, जबकि मरम्मत का काम आमतौर पर मंदिर के अंदर ही होता है.
अदालत ने आगे कहा, "उन्हें क़ीमती वस्तुएं सौंपते समय", मंदिर बोर्ड ने सोने से मढ़ी वस्तुओं को "तांबे की प्लेटों" के रूप में दर्ज किया था.
मरम्मत के बाद पोट्टी को "ग़लत तरीके से लगभग 474.9 ग्राम सोना अपने पास रखने की अनुमति" देने के लिए न्यायाधीशों ने मंदिर बोर्ड की भी कड़ी आलोचना की है.
पोट्टी द्वारा बोर्ड को भेजे गए उस ईमेल का भी कोर्ट ने ज़िक्र किया जिसमें उन्होंने इस "अतिरिक्त सोने" का इस्तेमाल "अपनी जान-पहचान वाली या रिश्तेदार की लड़की की शादी" के लिए करने की अनुमति मांगी थी.
अदालत ने कहा कि यह "बेहद चिंताजनक है और इस मामले में की गई अनियमितता की हद को एक बार फिर सामने लाता है."
पोट्टी को गिरफ़्तार कर लिया गया है और मजिस्ट्रेट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. बीबीसी उनसे बात नहीं कर पाया.
लेकिन गिरफ़्तारी के बाद अदालत से बाहर निकलते समय उन्होंने वहां प्रतीक्षा कर रहे पत्रकारों पर चिल्लाते हुए कहा कि उन्हें 'फंसाया' जा रहा है.
उन्होंने कहा, "सच्चाई सामने आएगी. जिन लोगों ने मुझे इसमें फंसाया है, उन्हें क़ानून का सामना करना पड़ेगा. सब कुछ सामने आ जाएगा."
पिछले कुछ दिनों में पुलिस ने बोर्ड के दो अधिकारियों को भी गिरफ़्तार किया है. बोर्ड के अध्यक्ष पीएस प्रशांत भी जांच के घेरे में हैं और उन्होंने बीबीसी के फ़ोन या संदेशों का कोई जवाब नहीं दिया.
इससे पहले उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि 'वर्तमान बोर्ड का इस मुद्दे से कोई लेना-देना नहीं है' लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वह 'जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं' और 'उम्मीद करते हैं कि सभी दोषियों को क़ानून के कठघरे में लाया जाएगा.'
एसआईटी को अपनी जांच पूरी करने के लिए छह सप्ताह का समय दिया गया है और अदालत ने "इस मामले में दोषी हर व्यक्ति की पहचान करने और उसे सज़ा दिलाने का संकल्प लिया है... चाहे उसकी स्थिति, प्रभाव या हैसियत कुछ भी हो."
अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए बुधवार, 5 नवंबर की तारीख़ तय की थी.
अंग्रेज़ी अख़बार 'द हिंदू' के अनुसार, बुधवार को एसआईटी ने संकेत दिया कि वो एक अलग जांच और मुकदमे की दिशा में आगे बढ़ सकती है.
इस मामले में उच्च स्तर के अधिकारियों की मिलीभगत और संभावित भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है.
इस ख़बर के अनुसार, "अधिकारियों ने बताया कि हाई कोर्ट ने जांच का दायरा बढ़ाकर इसमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के संभावित उल्लंघन को भी शामिल कर लिया है."
इस घोटाले के कारण राज्य में राजनीतिक विवाद भी खड़ा हो गया है और विपक्षी दल केरल की कम्युनिस्ट सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस पार्टी के वीडी सतीशन ने बीबीसी से कहा, "करीब 5 किलो सोना चोरी हो गया है."
उन्होंने आगे कहा, "अदालत ने इस पर हैरानी जताई है और कहा है कि इस मामले में अधिकारी भी अगर ज़्यादा नहीं, तो उतने ही दोषी हैं."
सतीशन और अन्य विपक्षी नेताओं ने मांग की है कि राज्य के मंदिर मामलों के मंत्री वीएन वासवन, भगवान की क़ीमती वस्तुओं की सुरक्षा करने में नाकाम होने की जिम्मेदारी लें और इस्तीफ़ा दें.
वासवन ने आरोपों से इनकार किया है और विपक्ष की इस्तीफ़े की मांग को भी ख़ारिज़ कर दिया है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "हम अदालत की निगरानी में उच्च-स्तरीय पुलिस टीम की जांच में पूरा सहयोग करेंगे."
उन्होंने कहा, "लोगों को 1998 से अब तक हुए सभी लेन-देन और अब जो कुछ हो रहा है, उसके बारे में पता होना चाहिए. हमारे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है."(bbc.com/hindi)


