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एनआईटी का दीक्षांत में जम्मू-कश्मीर के एलजी ने कहा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 9 नवंबर।राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) रायपुर का 16वां दीक्षांत समारोह पंडित दीनदयाल उपाध्याय सभागार में गरिमामय और उत्साहपूर्ण वातावरण में हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में जम्मू एवं कश्मीर के माननीय उपराज्यपाल मनोज सिन्हा तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार एवं रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जी. सतीश रेड्डी उपस्थित रहे। समारोह की अध्यक्षता बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष डॉ. सुरेश हावरे ने की। निदेशक प्रो. एन. वी. रमना राव, सेनेट एवं बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के सदस्य, प्राध्यापकगण, अधिकारीगण, अभिभावक एवं स्नातक विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
संस्थान ने अपनी शैक्षणिक उत्कृष्टता की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए कुल 1,382 विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान कीं, जिनमें 1,055 स्नातक, 278 स्नातकोत्तर और 49 डॉक्टरेट (पीएच.डी.) विद्यार्थी शामिल रहे। इस अवसर पर कुल 54 पदक — 27 स्वर्ण और 27 रजत — विभिन्न शाखाओं के मेधावी विद्यार्थियों को प्रदान किए गए। बी.टेक कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग की आर्या श्रीवास्तव को संस्थान का सर्वश्रेष्ठ छात्र पुरस्कार प्राप्त हुआ।
समारोह का शुभारंभ निदेशक प्रो. एन. वी. रमना राव के स्वागत भाषण से हुआ। उन्होंने सभी विशिष्ट अतिथियों का अभिनंदन करते हुए कहा कि यह अवसर संस्थान के गौरवशाली इतिहास का स्वर्ण अध्याय है। उन्होंने मुख्य अतिथि मनोज सिन्हा को समर्पण, पारदर्शिता और जनसेवा की भावना से युक्त एक दूरदर्शी नेता बताया तथा विशिष्ट अतिथि डॉ. जी. सतीश रेड्डी की देश की स्वदेशी रक्षा क्षमता को सुदृढ़ करने में निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. सुरेश हावरे ने एनआईटी रायपुर को देश के श्रेष्ठ प्रौद्योगिकी संस्थानों में से एक बताते हुए विद्यार्थियों से निरंतर सीखने और ईमानदारी से समाज की सेवा करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सफलता का रहस्य निरंतर आत्मविकास और सृजनशीलता में निहित है। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने स्वामी विवेकानंद के संदेश “उत्तिष्ठत, जाग्रत” (उठो, जागो) का उल्लेख करते हुए अनुशासन, परिश्रम और कर्मनिष्ठा का पाठ पढ़ाया।
विशिष्ट अतिथि डॉ. जी. सतीश रेड्डी ने कहा कि भारत आज आत्मनिर्भरता की दिशा में तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है और प्रधानमंत्री के “विकसित भारत” के दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में कार्यरत है। उन्होंने बताया कि भारत शोध प्रकाशनों और पेटेंट दाखिल करने में विश्व में तीसरे स्थान पर है और युवा वर्ग नवाचार, स्टार्टअप एवं अनुसंधान के क्षेत्र में नई क्रांति का नेतृत्व कर रहा है। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत अब रक्षा उपकरणों का आयातक नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर निर्यातक देश बन चुका है।

मुख्य अतिथि मनोज सिन्हा ने कहा कि यह दिवस संस्थान के गौरव और उपलब्धि का प्रतीक है। उन्होंने स्नातकों से आजीवन सीखने, जोखिम उठाने और नवाचार की भावना को अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने बताया कि भारत आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यहाँ 111 यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स हैं जिनका संयुक्त मूल्यांकन 350 अरब डॉलर से अधिक है। उन्होंने स्नातकों से विकसित भारत के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह करते हुए सफलता के पाँच सूत्र साझा किए — आजीवन सीखना, समस्या-समाधान, निडर नवाचार, टीमवर्क और परिवर्तनशीलता। उन्होंने शिक्षकों से विद्यार्थियों में जिज्ञासा, नैतिकता और सृजनशीलता का संचार करने का आह्वान किया।
समारोह के प्रथम चरण में स्वर्ण एवं रजत पदक विजेताओं को मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि, अध्यक्ष, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स और निदेशक द्वारा सम्मानित किया गया। द्वितीय चरण में निदेशक प्रो. एन. वी. रमना राव ने संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की और स्नातक, स्नातकोत्तर तथा पीएच.डी. विद्यार्थियों को उपाधियाँ प्रदान कीं। समारोह का समापन शपथ ग्रहण और राष्ट्रगान के साथ हुआ, जिसने इस ऐतिहासिक दिवस को एक प्रेरणादायी एवं भावनात्मक रूप में पूर्ण किया।


