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छत्तीसगढ़ का कोल ब्लॉक आवंटन: पूर्व कोयला सचिव बरी, कोर्ट ने कहा- लोकहित के विरुद्ध कार्रवाई का कोई सबूत नहीं
04-Nov-2025 7:37 PM
छत्तीसगढ़ का कोल ब्लॉक आवंटन: पूर्व कोयला सचिव बरी, कोर्ट ने कहा- लोकहित के विरुद्ध कार्रवाई का कोई सबूत नहीं

दिल्ली की एक अदालत ने छत्तीसगढ़ में फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़े कथित ‘घोटाला’ केस में पूर्व कोयला सचिव व पूर्व संयुक्त सचिव समेत कई अन्य आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि आरोपी अधिकारियों का कृत्य लोकहित के विरुद्ध था.

नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने छत्तीसगढ़ में फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक आवंटन से जुड़े कथित ‘घोटाले’ मामले में पूर्व कोयला सचिव हरीश चंद्र गुप्ता, पूर्व संयुक्त सचिव केएस क्रोफा और कई अन्य आरोपियों को आरोपमुक्त कर दिया है. 

दिल्ली की राउज़ एवेन्यू अदालत के विशेष न्यायाधीश धीरज मोर ने यह आदेश सुनाया. 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, इन दोनों पूर्व अधिकारियों पर आरकेएम पावरजेन प्राइवेट लिमिटेड (आरकेएमपीपीएल) कंपनी, उसके निदेशकों और मंत्रालय के अन्य अधिकारियों के साथ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.

इस मामले में एफआईआर सीबीआई की प्रारंभिक जांच के आधार पर दर्ज की गई थी.

एफआईआर के अनुसार, स्क्रीनिंग कमेटी और कोयला मंत्रालय के अधिकारियों पर आरोप था कि उन्होंने पात्रता मानकों को नज़रअंदाज़ करते हुए आरकेएमपीपीएल और अन्य कंपनियों की सिफारिश की थी, और कोल ब्लॉक के आवंटन के बाद कंपनी के भारतीय प्रमोटरों को लाभ पहुंचाने के लिए ऊंचे प्रीमियम पर शेयर जारी किए थे. जांच में यह भी सामने आया था कि भूमि अधिग्रहण के लिए जमा कराए गए सहमति पत्र (कंसेंट लेटर) भी जाली थे.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, आरकेएमपीपीएल के आवेदन के साथ प्रस्तुत किए गए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में कई असंगतियां पाई गईं और कंपनी ने अपनी परियोजना की क्षमता और तैयारी की स्थिति को लेकर गलत जानकारी दी थी.

हालांकि, अदालत ने अपने आदेश में कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिशें सार्वजनिक हित में की गई थीं, और यह मानने का कोई प्रारंभिक आधार नहीं है कि आरकेएमपीपीएल या उसके निदेशकों ने फतेहपुर ईस्ट कोल ब्लॉक के आवंटन से संबंधित भूमि से जुड़ी कोई झूठी जानकारी दी थी, चाहे वह आवेदन पत्रों में हो या मंत्रालयों के साथ किसी भी प्रकार के संवाद में, जिनमें कोयला मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय या छत्तीसगढ़ सरकार शामिल हैं.

विशेष न्यायाधीश मोर ने अपने आदेश में कहा, ‘रिकॉर्ड में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है जिससे यह साबित हो सके कि आरोपी अधिकारियों का कृत्य सार्वजनिक हित के विरुद्ध था. इसलिए, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)(d)(iii) के तहत अपराध के आवश्यक तत्व इस मामले में स्पष्ट रूप से अनुपस्थित हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘अभियोजन द्वारा लगाया गया यह आरोप कि अभियुक्त नंबर 1 (आरकेएमपीपीएल कंपनी) ने वित्तीय स्थिति से संबंधित गलत या भ्रामक जानकारी दी थी, निराधार है. बल्कि, कंपनी का दावा सच्चा और सही साबित हुआ है, जिसे बाद की घटनाओं और कंपनी के आचरण ने और पुष्ट किया है.’ (thewirehindi.com)


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