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‘आमार शोनार बांग्ला’ गीत को लेकर चल रहे विवाद पर तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा टिप्पणी की है.
असम में हाल ही में कांग्रेस की एक बैठक में इस गीत को गाया गया था, जो बांग्लादेश का राष्ट्रगान भी है. उसके बाद से ही इस मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच विवाद छिड़ा हुआ है.
इस विवाद पर तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, “साल 1905 में अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया था, जिसके विरोध में टैगोर ने ‘आमार शोनार बांग्ला’ गीत लिखा था. इसकी पहली 10 पंक्तियाँ साल 1971 में बांग्लादेश ने राष्ट्रगान के रूप में अपनाया. ‘आमार शोनार बांग्ला’ हम सभी बंगालियों की भावनाओं के जुड़ा है…”
महुआ मोइत्रा ने कहा है कि "भगवा ट्रोल" को यह बात समझ में नहीं आएगी.
बीते दिनों असम में कांग्रेस पार्टी की करीमगंज मीटिंग में इस गीत को गाया गया था, जिसपर राज्य में सत्ता में मौजूद बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी.
असम के कैबिनेट मंत्री अशोक सिंघल ने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “आमार शोनार बांग्ला गीत कांग्रेस की श्रीभूमि की बैठक में गाया गया. ये वही देश है जो नॉर्थ-ईस्ट को भारत से अलग कराना चाहता था.”
उन्होंने लिखा, “अब यह स्पष्ट है कि कांग्रेस दशकों से असम में मियां (मुसलमानों) के अवैध घुसपैठ की अनुमति और उसे बढ़ावा दे रहा है. इसका मक़सद ग्रेटर बांग्लादेश बनाने और अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए राज्य की आबादी में बदलाव करना है.”
इन आरोपों के बाद कांग्रेस सांसद गोरव गोगोई ने भी बीजेपी पर निशाना साधा.
गोरव गोगोई ने कहा, “इस गीत की रचना रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी और बंगाल की संस्कृति से जुड़ी संवेदना लोगों तक पहुंचाई थी. बीजेपी ने हमेशा बंगाली भाषा, बांग्ला संस्कृति और बंगाल के लोगों का अपमान किया है.”
उन्होंने कहा, “आईटी सेल ने पहले भी बंगाल के लोगों का अपमान किया है. उनलोगों ने रवींद्रनाथ टैगोर के बारे में नहीं जानने की नासमझी दिखाई है. मुझे लगता है कि देश के हर हिस्से में रहने वाले बंगाल के लोग और बंग्ला बोलने वालों को यह समझ में आ गया है कि बीजेपी केवल वोट के लिए उनका इस्तेमाल करती है.”
"आमार शोनार बांग्ला, आमि तोमाए भालोबाशी... चिरोदिन तोमार आकाश, तोमार बाताश, आमार प्राने बजाए बाशी...." गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के इस गीत का हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह से है-
"मेरा प्रिय बंगाल, मेरा सोने जैसा बंगाल, मैं तुमसे प्यार करता हूँ... सदैव तुम्हारा आकाश, तुम्हारी वायु, मेरे प्राणों में बाँसुरी सी बजाती है..."
टैगोर ने साल 1905 में 'बंगभग' के समय इस गीत की रचना की थी और 66 साल बाद जब बांग्लादेश वजूद में आया तो यह गीत उसका राष्ट्रगान बना. (bbc.com/hindi)


