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लंबित आपराधिक केस, विभागीय जांच रोकने की छूट नहीं देता- हाईकोर्ट
25-Oct-2025 1:24 PM
लंबित आपराधिक केस, विभागीय जांच रोकने की छूट नहीं देता- हाईकोर्ट

छत्तीसगढ़' संवाददाता 

बिलासपुर, 25 अक्टूबर । छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने स्पष्ट किया है कि किसी आपराधिक मामले के लंबित रहने मात्र से किसी कर्मचारी के खिलाफ चल रही विभागीय कार्यवाही स्वतः स्थगित नहीं हो जाती। न्यायालय ने कहा कि आपराधिक मुकदमे के दौरान अनुशासनात्मक जांच पर केवल उचित अवधि के लिए ही रोक लगाई जा सकती है, परंतु इसे अनिश्चित काल तक टालना न्यायसंगत नहीं होगा।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की खंडपीठ ने यह टिप्पणी छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान दी। मामला बैंक के कर्मचारी पीयूष वर्मा से संबंधित है, जो एक शाखा में प्रबंधक के रूप में पदस्थ था। उसके कार्यकाल में वित्तीय अनियमितताओं और बैंक धन के दुरुपयोग के गंभीर आरोप सामने आए, जिसके बाद उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420 और 120-बी के तहत आपराधिक मामला दर्ज हुआ और साथ ही बैंक ने विभागीय जांच भी प्रारंभ की।

पीयूष वर्मा ने तर्क दिया कि चूंकि उन्हीं आरोपों पर आपराधिक मुकदमा पहले से लंबित है, इसलिए विभागीय जांच पर रोक लगाई जाए। सिंगल बेंच ने उसकी याचिका स्वीकार कर विभागीय कार्यवाही को मुकदमे की समाप्ति तक स्थगित कर दिया था। इस आदेश के विरुद्ध बैंक ने डिवीजन बेंच (डीबी) में अपील दायर की।

डीबी बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को संशोधित करते हुए कहा कि केवल आपराधिक मुकदमा लंबित होने का कारण देकर विभागीय कार्यवाही को रोका नहीं जा सकता। न्यायालय ने यह भी कहा कि कर्मचारी आपराधिक मामले की अवधि का उपयोग विभागीय कार्रवाई को विलंबित करने के साधन के रूप में नहीं कर सकता।

अदालत ने माना कि बैंक पहले से पूरी हो चुकी विभागीय जांच में अंतिम आदेश पारित करने के लिए स्वतंत्र है। इस प्रकार अपीलकर्ता बैंक द्वारा दायर रिट अपील का निपटारा करते हुए अदालत ने विभागीय प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी।


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