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मुंबई, 24 अक्टूबर। भारतीय विज्ञापन जगत में देसी फ्लेवर और इसकी मिट्टी की खुशबू मिलाने वाले और विज्ञापन जगत के दिग्गजों में से एक पीयूष पांडे का शुक्रवार को मुंबई में निधन हो गया।
देश के 2014 के संसदीय चुनावों का लोकप्रिय स्लोगन ‘अबकी बार, मोदी सरकार’ पीयूष पांडे ने ही लिखा था।
भारत के एड गुरु पीयूष पांडे ने भारतीय हास्य बोध और देसी अंदाज के साथ हिंदी को मुख्यधारा में लाकर देश में विज्ञापन जगत को नए तेवर दिए और अंग्रेजी-प्रधान विज्ञापनों को पीछे धकेल दिया।
पांडे 1982 में ‘ओगिल्वी इंडिया’ से जुड़े और बाद में कंपनी के ‘ग्लोबल क्रिएटिव हेड’ के शीर्ष स्तर तक पहुंचे। उन्होंने विज्ञापनों में स्थानीय भाषा, देसी अंदाज और भावनाओं को शामिल कर भारतीय विज्ञापन जगत में नयी क्रांति पैदा की।
उनके द्वारा तैयार किए गए लोकप्रिय विज्ञापन देश की संस्कृति और लोगों की यादों का हिस्सा बन चुके हैं जिनमें कैडबरी के ‘कुछ खास है’ व ‘असली स्वाद जिंदगी का’, एशियन पेंट्स का ‘हर खुशी में रंग लाए’ और फेविकोल का ‘ये फेविकोल का जोड़ है, टूटेगा नहीं’ व ‘अंडे वाला’ विज्ञापन शामिल हैं।
पांडे को 2016 में पद्मश्री और 2024 में ‘लंदन इंटरनेशनल अवार्ड्स’ के ‘लेजेंड अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया। उन्हें 2004 में कान्स लायंस जूरी की अध्यक्षता करने वाले पहले एशियाई होने का गौरव भी हासिल हुआ।
पीयूष पांडे को क्रिकेट में भी खास दिलचस्पी थी। उन्होंने रणजी ट्रॉफी में राजस्थान क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व भी किया था।
उनकी बहन एवं गायिका इला अरुण ने बताया कि पीयूष पांडे का निधन शुक्रवार सुबह पांच बजकर 50 मिनट पर मुंबई के एक निजी अस्पताल में हुआ। वह पिछले कुछ दिनों से सांस संबंधी दिक्कतों के कारण उपचाराधीन थे।
इला ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “उन्हें खेल का बहुत शौक था। वह हमारे परिवार को 11 लोगों की क्रिकेट टीम बताते थे — नौ भाई-बहन और माता-पिता। पीयूष सबसे शरारती और सबसे मजाकिया थे। उन्हें पतंगबाजी का भी काफी शौक था।”
उन्होंने कहा कि पीयूष हर रिश्ते को महत्व देते थे और उसे संजोते थे, इसी कारण जिन बड़े लोगों से उनका परिचय हुआ, वे सिर्फ ग्राहक भर नहीं रह गए बल्कि उनके अपने बन गए।
अरुण ने कहा, ‘‘वह पांच साल तक मेरे साथ रहे। और उन्होंने अपनी विज्ञापन कंपनी (ओगिल्वी) को कभी नहीं छोड़ा, क्योंकि इससे उन्हें अपनी पसंद के विज्ञापन बनाने की पूरी आजादी मिलती रही।’’
पांडे अपनी पत्नी के साथ मध्य मुंबई के शिवाजी पार्क इलाके में रहते थे। अरुण ने कहा कि इस घर में एक बालकनी थी जहां से अरब सागर दिखता था। यह उनकी सबसे पसंदीदा जगह थी।
उन्होंने कहा, “वह असल मायनों में एक सच्चे खेलप्रेमी थे, जिन्हें कई खेलों में दिलचस्पी थी और उन्होंने क्रिकेट को गंभीरता से अपनाया था। इसके अलावा, उन्होंने तैराकी और भाला फेंक में भी पुरस्कार जीते थे।”
उनके दूसरे भाई प्रसून पांडेय भी विज्ञापन जगत से जुड़े हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और पीयूष गोयल ने पांडे के निधन पर शोक प्रकट किया।
मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘पीयूष पांडे जी की रचनात्मक प्रतिभा को सभी ने सराहा। उन्होंने विज्ञापन और संचार की दुनिया में अभूतपूर्व योगदान दिया। उनके साथ हुई बातचीत हमेशा याद रहेगी। उनके निधन से दुखी हूं। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं।”
सीतारमण ने उन्हें भारतीय विज्ञापन जगत की “महान और दिग्गज शख्सियत” बताया और कहा कि पांडे सामान्य बोलचाल की भाषा और देसी अंदाज से विज्ञापन की दुनिया में बड़ा बदलाव लाए।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि पांडे विज्ञापन जगत में असाधारण शख्सियत थे और उनकी रचनात्मकता ने कहानी कहने के तरीकों को ही बदल दिया।
उद्योगपति गौतम अदाणी ने कहा कि पांडे सिर्फ महान विज्ञापन विशेषज्ञ नहीं, बल्कि उससे कहीं बढ़कर थे।
अदाणी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘उन्होंने भारतीय विज्ञापन जगत में आत्मविश्वास जगाया, नयी पहचान दी और इसे स्वदेशी अंदाज से जोड़ा।’’
उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने कहा कि पांडे ने विज्ञापन जगत पर “अमिट छाप” छोड़ी। उन्होंने याद किया कि पांडे की बेबाक हंसी और जीवन को पूरे उत्साह से जीने का उनका तरीका, उन ब्रांड से भी ज्यादा याद रखा जाएगा जिन्हें उन्होंने बनाया।
भारत के प्रमुख बैंकर उदय कोटक ने बताया कि 2003 में कोटक महिंद्रा बैंक का पहला विज्ञापन अभियान पांडे ने बनाया था। पांडे ने बैंकिंग को आम लोगों से जोड़कर पेश किया था।
कोटक ने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘वे अद्भुत, लीक से हटकर सोच रखने वाले और विनम्र व्यक्ति थे। उन्होंने रचनात्मकता को भारतीय पहचान और संदर्भ से जोड़ा।”
प्रख्यात प्रसारक और क्रिकेट कमेंटेटर हर्षा भोगले ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, “पीयूष पांडे ने ऐसे पेशे में कदम रखा जहां बहुत सधी हुई अंग्रेजी बोली जाती थी लेकिन उन्होंने अपनी जुबान का खूबसूरत जायका पेश किया। उन्होंने विज्ञापन की दुनिया में बेहद ऊंचा मुकाम हासिल किया, लेकिन अपनी जड़ों को नहीं छोड़ा।’’
इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा, “पीयूष भारतीय अंदाज, रंग और रचनात्मकता के साथ ब्रांडिंग की ताकत पर विश्वास करते थे और उसे बढ़ावा देते थे। इसी वजह से उन्होंने भारत की पहचान दुनियाभर में मजबूत की।...उनका जज्बा आगे भी हमें प्रेरित करता रहेगा।’’
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी पांडे को श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें ‘‘शब्दों का जादूगर’’ कहा।
फडणवीस ने शोक संदेश में कहा, ‘‘सिर्फ चार शब्दों ‘अबकी बार, मोदी सरकार’- में पांडे ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक चुनावों में इतिहास रच दिया।’’
मुख्यमंत्री ने पांडे को “शब्दों का जादूगर” और “गहरी समझ रखने वाला व्यक्तित्व” बताते हुए कहा, “प्रिंट के दौर में भी उन्होंने टीवी के लिए बेहतरीन तरीके से लिखा। उनके काम में भारतीय भाषाओं की समृद्धि साफ झलकती थी, और एक ही वाक्य में प्रभावशाली संदेश देने की उनकी क्षमता बेजोड़ थी।’’
जयपुर में जन्मे पांडे ने 2023 में ‘ओगिल्वी इंडिया’ के कार्यकारी अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और सलाहकार के तौर पर जुड़े हुए थे। भारत के एड गुरु बनने से पहले पीयूष पांडे ने चाय के कारोबार (टी-टेस्टिंग) और विनिर्माण जैसे क्षेत्र में भी हाथ आजमाया था।
पांडे ने जयपुर के सेंट जेवियर्स स्कूल से पढ़ाई की और दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज के पूर्व छात्र भी रहे जहां से उन्होंने इतिहास में स्नातकोत्तर किया।
उनके परिवार में उनकी पत्नी नीता हैं, जो कुत्तों से बहुत प्रेम करती हैं। दंपति के कोई संतान नहीं हैं। पांडे अपने कुत्तों को परिवार मानते थे।
उन्होंने 1980 के दशक में सरकार द्वारा निर्मित लोकप्रिय गीत ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ के बोल भी लिखे थे।
उन्होंने कई किताबें भी लिखीं, जिनमें ‘पांडेमोनियम: पीयूष पांडे ऑन एडवरटाइजिंग’ और ‘द मेकिंग ऑफ अ ब्रांड: एशियन पेंट्स’ शामिल हैं।
इला अरुण ने बताया कि उनका अंतिम संस्कार शनिवार सुबह करीब साढ़े 10 बजे शिवाजी पार्क श्मशान में किया जाएगा। (भाषा)


