ताजा खबर

सूचना आयोग अब एक सदस्यीय रह गया, 43 हजार प्रकरण लंबित!
24-Oct-2025 8:16 PM
सूचना आयोग अब एक सदस्यीय रह गया, 43 हजार प्रकरण लंबित!

मुख्य सूचना आयुक्त के अलावा आयुक्त के दो पद खाली,  पांच करोड़ जुर्माना वसूली शेष
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 24 अक्टूबर।
यह एक ऐसा मामला है जिसमें सरकार ने शासन-प्रशासन में जवाबदेही सुनिश्चित करने और पारदर्शिता लाने के लिए राज्य सूचना आयोग का गठन तो कर दिया है, लेकिन मुख्य सूचना आयुक्त, और आयुक्त के दो पद खाली होने की वजह से सुनवाई नहीं हो पा रही है। आयोग एक सदस्य के भरोसे चल रहा है, और करीब 43 हजार प्रकरण सुनवाई के लिए लंबित है। छत्तीसगढ़ उन 5 राज्यों में हैं, जहां आरटीआई के सर्वाधिक प्रकरण लंबित हैं। 

सरकार ने मुख्य सूचना आयुक्त और आयुक्त के दो रिक्त की नियुक्ति के लिए आवेदन बुलाए थे। इंटरव्यू की प्रक्रिया भी पूरी हो गई थी। मगर हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद पूरी प्रक्रिया रूकी हुई है। मुख्य सूचना आयुक्त के पद तो पिछले तीन साल से खाली है। वर्तमान में कोरबा नगर निगम के पूर्व कमिश्नर आलोक चंद्रवंशी अकेले सूचना आयुक्त रह गए हैं। साय सरकार ने चंद्रवंशी के अलावा पूर्व आईएएस नरेंद्र शुक्ला की नियुक्ति की थी। शुक्ला का कार्यकाल मई में खत्म हो गया। 

सीएम सचिवालय के एक अफसर ने ‘छत्तीसगढ़’ चर्चा में कहा कि कोर्ट के स्थगन आदेश की वजह से नियुक्तियां नहीं हो पा रही हैं। रोक हटते ही सरकार रिक्त पदों पर नियुक्तियां करेंगी। 

आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक आज की तिथि में करीब 43 हजार प्रकरण सुनवाई के लिए लंबित हैं। इसके निराकरण  में वर्षों लग सकते हैं। खास बात यह है कि सबसे ज्यादा आवेदन पंचायतों के हैं। लंबित मामलों में 35 फीसदी प्रकरण पंचायतों से जुड़े हैं। इसके बाद वन विभाग के प्रकरण हैं।  इसके अलावा निर्माण विभागों के ज्यादा मामले हैं। 

दिलचस्प बात यह है कि आयोग ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी नहीं देने पर जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों पर जुर्माना लगाया था। साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी। आयोग के एक अफसर के मुताबिक तकरीबन साढ़े 5 करोड़ की जुर्माना राशि वसूली की जानी है। साथ ही आयोग की अनुशंसा पर कार्रवाई भी अब नहीं के बराबर हो रही है। 

आयोग से जुड़े एक अफसर का कहना है कि प्रशासनिक अड़चनों की वजह से लंबित प्रकरणों की सुनवाई तेजी से नहीं हो पा रही है। उनका कहना था कि सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागों को आरटीआई-आवेदनों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करने के लिए कहा था। शुरूआत में नियुक्तियां भी हुई, फिर तबादलों के बाद नोडल अधिकारी हटते गए। नया प्रभार नहीं दिया गया। कुल मिलाकर विभागों में अपीलीय प्रकरणों को लेकर तामिली नहीं हो पा रही है। इसकी वजह से अधिकारी-कर्मचारी सुनवाई में नहीं आ पाते हैं, और प्रकरणों का अंबार लग गया है। 

 

एक आंकड़े के मुताबिक छत्तीसगढ़ से ज्यादा महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के सूचना आयोग में प्रकरण लंबित है। छत्तीसगढ़ से बेहतर स्थिति देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में है जहां जून तक करीब साढ़े 18 हजार आवेदन ही लंबित थे। मध्यप्रदेश और तेलंगाना व ओडिशा जैसे पड़ोसी राज्यों की स्थिति छत्तीसगढ़ से बेहतर हैं। छत्तीसगढ़ के आरटीआई एक्टिविस्टो ने राज्यपाल और सीएम को ज्ञापन देकर जल्द से जल्द नियुक्ति का आग्रह कर चुके हैं। बहरहाल, जल्द ही आयोग में प्रकरणों के निपटारे के आसार नहीं दिख रहे हैं। 


अन्य पोस्ट