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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 10 सितंबर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक पिता द्वारा दायर हैबियस कॉर्पस याचिका को खारिज कर दिया। पिता ने अपनी 13 वर्षीय लापता बेटी की बरामदगी के लिए अदालत से गुहार लगाई थी। अदालत ने साफ कहा कि गुमशुदगी के मामलों में हैबियस कॉर्पस का उपयोग नहीं किया जा सकता, बल्कि ऐसे मामलों की जांच पुलिस को एफआईआर के आधार पर करनी होती है।
मुख्य न्यायाधिपति रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने यह आदेश पारित किया। थाना कोनी जिला बिलासपुर के निवासी याचिकाकर्ता ने बताया कि उसकी नाबालिग बेटी (13 वर्ष 7 माह) 7 जुलाई 2025 से लापता है। पत्नी की शिकायत पर पुलिस ने 9 जुलाई को अपराध दर्ज किया और 21 वर्षीय युवक को भारतीय दंड संहिता 2023 (बीएनएस) की धारा 137(2) के तहत आरोपी बनाया गया। पिता का आरोप था कि युवक उसकी बेटी को बहला-फुसलाकर ले गया और पुलिस कार्रवाई में ढिलाई बरत रही है, इसलिए उसने हैबियस कॉर्पस याचिका दायर की।
राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता ने दलील दी कि चूंकि पहले ही गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज है और पुलिस जांच कर रही है, इसलिए इस मामले में हैबियस कॉर्पस लागू नहीं होता। यह याचिका केवल गैरकानूनी हिरासत के मामलों में ही मान्य है।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में मालिकराम गेंद्र बनाम राज्य (2023), जयमति साहू बनाम राज्य (2022) और संतोषी यादव बनाम राज्य (2023) जैसे मामलों का हवाला दिया और स्पष्ट किया कि गुमशुदगी के मामलों में नियमित कानूनी प्रक्रिया का पालन करना जरूरी है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को भविष्य में उचित कानूनी उपाय अपनाने की स्वतंत्रता देते हुए याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी।