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डीजे शोर के दौरान नाबालिग की मौत पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान
10-Sep-2025 11:16 AM
डीजे शोर के दौरान नाबालिग की मौत पर हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

सरकार ने माना, कड़ी कार्रवाई के लिए कोलाहल अधिनियम में संशोधन जरूरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बिलासपुर, 10 सितंबर। डीजे और साउंड बॉक्स के शोर से लोगों को हो रही परेशानी पर दायर जनहित याचिका की मंगलवार को सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान बलरामपुर जिले की उस घटना को गंभीरता से लिया, जिसमें गणेश विसर्जन के समय डीजे पर नाचते हुए 15 वर्षीय प्रवीण गुप्ता की मौत हो गई थी। हाईकोर्ट ने इस मामले पर शासन से विस्तृत जवाब मांगा है।

इस दौरान राज्य शासन ने अदालत को बताया कि सख्त कार्रवाई के लिए छत्तीसगढ़ के कोलाहल नियंत्रण अधिनियम में संशोधन जरूरी है, क्योंकि वर्तमान प्रावधान काफी हल्के हैं। अभी तक कोलाहल अधिनियम में सख्त दंड का प्रावधान नहीं है। अधिकतम 500 से 1000 रुपए जुर्माना लगाकर मामले निपटा दिए जाते हैं। न तो उपकरण जब्त किए जाते हैं और न ही कोई ठोस कार्रवाई होती है। इसी वजह से शासन स्तर पर अधिनियम में बदलाव की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। कोर्ट ने सरकार को इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि इस मामले में विधि विभाग ने पहले ही रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें स्पष्ट किया गया कि 1985 का कोलाहल नियंत्रण अधिनियम एक राज्य अधिनियम है, जबकि 2000 के ध्वनि प्रदूषण नियम केंद्रीय स्तर के हैं। ऐसे में केंद्र के नियम ही प्रभावी होंगे, जिनमें लाउडस्पीकर के उपयोग पर अनुमति लेना और ध्वनि सीमा तय करने का प्रावधान है।

बलरामपुर की घटना को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ा सवाल किया कि जब डीजे पर रोक है तो इतनी तेज आवाज में साउंड कैसे बज रहा था और इस पर अब तक जिम्मेदारी क्यों तय नहीं की गई। सुनवाई में यह भी सामने आया कि बलरामपुर जिले में डीजे पर कोई प्रतिबंध लागू ही नहीं था, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ।

 


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