ताजा खबर

'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 10 सितंबर। सिम्स अस्पताल में मरीजों की जांच अब भी पुरानी मशीनों के सहारे हो रही है। जबकि राज्य सरकार ने चार महीने पहले 15 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी, लेकिन अब तक नई मशीनें नहीं लग पाई हैं। इस अव्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई और राज्य शासन से शपथ पत्र सहित जवाब मांगा है।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि जब बजट जारी हो चुका है तो मशीनें अस्पताल तक क्यों नहीं पहुंचीं। अदालत ने कहा कि सिम्स इस क्षेत्र का एकमात्र शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल है, जहाँ दूर-दराज़ के मरीज इलाज के लिए आते हैं। पुरानी मशीनों से जांच रिपोर्ट प्रभावित हो सकती है, जिसका सीधा असर मरीजों के इलाज पर पड़ेगा।
सिम्स प्रबंधन ने मरीजों की जांच व्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए राज्य शासन को 10 करोड़ और 5 करोड़ रुपए के दो अलग-अलग प्रस्ताव भेजे थे, जिन्हें मंजूरी भी मिल गई थी। लेकिन अस्पताल तक नई मशीनें नहीं पहुँचीं। मजबूरी में डॉक्टरों को पुरानी मशीनों से ही मरीजों की जांच करनी पड़ रही है।
जरूरत को देखते हुए सिम्स ने एसईसीएल के सीएसआर फंड और अन्य स्रोतों से करीब 66 लाख रुपए खर्च कर सोनोग्राफी और डायलिसिस जैसी कुछ मशीनें खरीदी हैं। लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि ये संख्या अस्पताल की आवश्यकताओं के मुकाबले बेहद कम है। उनका मानना है कि अगर नई मशीनें जल्द मिल जाएं कम समय में अधिक मरीजों की जांच संभव हो सकेगी।