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'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 10 सितंबर। पति-पत्नी के बीच बेटी की कस्टडी को लेकर चल रहा विवाद हाईकोर्ट की पहल से आपसी सहमति से सुलझ गया। अदालत ने दोनों को मध्यस्थ के पास भेजा था, जहाँ कई दौर की बैठकों के बाद दोनों पक्ष सहमति पर पहुँचे।
रायपुर निवासी और वर्तमान में जबलपुर के डूमना एयरपोर्ट में पदस्थ सीआईएसएफ जवान ने धमतरी फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। फैमिली कोर्ट ने बेटी की कस्टडी मां को दी थी, लेकिन पिता ने अपील कर मामला हाईकोर्ट में रखा। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने मध्यस्थता का रास्ता अपनाते हुए दोनों को एडवोकेट बीनू शर्मा के पास भेजा।
मध्यस्थता की प्रक्रिया में सहमति बनी कि 4 वर्षीय नाबालिग बेटी की कस्टडी पिता को दी जाएगी। माँ को महीने में एक बार मुलाकात का अधिकार होगा। मुलाकात का समय और स्थान दोनों फोन पर आपसी सहमति से तय करेंगे। छुट्टियों में मां-बेटी को अपने साथ ले जा सकेगी, लेकिन इसकी पूर्व सूचना पिता को देनी होगी। साथ ही, मां वीडियो कॉल के जरिए भी बेटी से बात कर सकेगी।
बेटी के जन्मदिन और स्कूल की पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में मां की उपस्थिति अनिवार्य रहेगी। स्कूल रिकॉर्ड में मां का नाम सह-अभिभावक के रूप में दर्ज होगा। बेटी को दिए गए उपहारों का उपयोग करने का पूरा अधिकार होगा।
इसके अलावा मां ने घरेलू हिंसा अधिनियम और अन्य लंबित प्रकरणों को वापस लेने की सहमति दी। दोनों पक्षों ने यह भी तय किया कि भविष्य में एक-दूसरे पर कोई नया केस दर्ज नहीं करेंगे।