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'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 6 सितंबर । राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संविदा स्वास्थ्य अनिश्चितकालीन हड़ताल पर संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित मिरी ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान भाजपा की घोषणा पत्र में मोदी की गारंटी का उल्लेख करते हुए संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों की समस्याओं के निराकरण का वादा किया गया था, परंतु सरकार बनने के 20 माह होने के बाद और 160 से अधिक ज्ञापन मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य, वित्त मंत्री, उपमुख्यमंत्री, विधायक, सांसदों को देने के पश्चात भी कोई सुनवाई नहीं हुई।
मिरी ने कहा कि शासन की उपेक्षा के कारण 16 हजार एनएचएम कर्मचारी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना छोड़ आंदोलन पर जाने को विवश हुए। इस पूरे आंदोलन के लिए पूरी तरह से शासन और प्रशासन का अपेक्षा पूर्ण व्यवहार ही जिम्मेदार है।
गलत जानकारी दे रहे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री- संघ
छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ का कहना है कि नियमितकारण, ग्रेड पे, अनुकंपा नियुक्ति, पब्लिक हेल्थ कैडर जैसी जरूरी मांगों को किनारे कर उक्त मांगों को शासन अपनी उपलब्धि बता रहा है, जो सही नहीं है। राज्य शासन के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा बार-बार यह कहा जाना कि इसमें केंद्र के मंजरी की जरूरत पड़ेगी, यह पूरी तरह से गलत जानकारी है। भारत सरकार के संयुक्त सचिव मनोज झालानी द्वारा प्रेषित पत्र और अभी इसी माह सितंबर 2025 में एनएचएम साथी द्वारा सूचना के अधिकार से प्राप्त जानकारी में यह साबित हुआ है कि एनएचएम के कर्मचारियों के नियमितीकरण सहित अन्य सुविधाओं के लिए राज्य सरकार ही जिम्मेदार है।
प्रदेशभर के एनएचएम कर्मचरियों ने दिया है सामूहिक इस्तीफा
संघ का कहना है कि आंदोलन के दौरान शासन ने दमनपूर्ण कार्यवाही करते हुए सभी को 24 घंटे के भीतर वापस अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने की चेतावनी दी, इसके विरोध में राज्य स्वास्थ्य भवन का घेराव करते हुए वहां इस पत्र को फाड़कर कर्मचारियों ने जला दिया। बाद में उच्च अधिकारियों के साथ चर्चा हुई परंतु चर्चा से कोई समाधान नहीं निकला और आंदोलन आगे बना रहा। इसी दौरान प्रदेश अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से एक वीडियो मैसेज के माध्यम से उक्त पूरे मामले में हस्तक्षेप करने की अपील की किंतु शाम को ही कर्मचारी संघ के प्रदेश व जिला स्तरीय 29 पदाधिकारियों को सेवा से पृथक कर दिया। इसके विरोध में 4 सितंबर को पूरे प्रदेश के बचे हुए कर्मचारियों ने अपने-अपने जिला कार्यालय में सामूहिक त्यागपत्र देकर आंदोलन को और तेज करने की घोषणा की।
तत्काल संवाद के माध्यम से हल निकाले सरकार
एनएचएम कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमित ने कहा, शासन और कर्मचारियों के बीच आपसी संवाद की कमी से प्रदेश की जनता की दिक्क्क्त बढ़ी है। हड़ताल के कारण पोषण पुनर्वास केंद्र, स्कूलों और आंगनबाड़ी में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण, टीबी मलेरिया की जांच, प्रसव कार्य, टीकाकरण, नवजात शिशु स्वास्थ्य केंद्र जैसी जरूरी स्वास्थ्य सुविधा बाधित हुई है। छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ शासन से यह मांग करता है कि वह तत्काल संवाद के माध्यम से हल निकाले।