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पुरी को टीएस का पत्र-इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के कर संरचना में सुधार की सलाह
08-Sep-2025 7:04 PM
पुरी को टीएस का पत्र-इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के कर संरचना में सुधार की सलाह

रायपुर, 8 सितंबर। पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री टी एस सिंहदेव ने केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी को पत्र प्रेषित कर इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के कर संरचना में सुधार की सलाह दी है।  इस सुधार से पेट्रोल की कीमतों को 5 तक कम किया जा सकेगा।

टीएस ने 5 सितंबर  को प्रेषित पत्र जो तथ्यात्मक और शोधपरक है में पूर्व उपमुख्यमंत्री ने केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री को यह बताया है कि इथेनॉल मिक्स पेट्रोल पर दोहरा कराधान है। शुद्ध इथेनॉल पर 5 प्रतिशत जी एस टी लगता है और जब इस इथेनॉल को ई-20 अनुपात में पेट्रोल में मिलाया जाता है तब उसपर पेट्रोल पर लगने वाला उत्पाद कर और सेस के साथ राज्यों  वैट भी अधिरोपित हो जाता है। यदि 20 प्रतिशत इथेनॉल जिसपर जीएसटी अधिरोपित है को शेष करो से जो पेट्रोल पर लगते हैं से मुक्त कर दिया जाए तो पेट्रोल की कीमतों में 5₹ प्रति लीटर की कमी हो जाएगी। छत्तीसगढ़ का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया इथेनॉल पर जीएसटी के अतिरिक्त करो को हटा दिया जाये तो कि ई-20 ईंधन की अनुमानित लागत क्रूड प्रोसेसिंग, जीएसटी सहित इथेनॉल की खरीदी और बलेंडिंग के बाद लागत 94.95/प्रति लीटर आता है। इसके बावजूद 5 सितंबर 2025 तक छत्तीसगढ़ में पेट्रोल की खुदरा कीमतें 99.44₹ प्रति लीटर से 100.55₹ प्रति लीटर के आसपास है। इस प्रकार से कर संरचना में सुधार आम नागरिकों को बड़ी राहत देगा। अपने पत्र में उन्होंने उल्लेख किया है कि इथेनॉल मिश्रण से मात्र 2025 में ही सरकार ने 43000 करोड़ रुपए की बचत की है। रूस और अन्य स्रोतों से सस्ता तेल खरीदने के बावजूद उपभोक्ताओं को इसका लाभ नहीं मिलने का ज़िक्र करते हुए उन्होंने ई20 ईंधन की कर संरचना में सुधार करते हुए उपभोक्ताओं को तत्काल इसका लाभ पहुंचाने की मांग अपने पत्र में की है।

विभिन्न शोधपरक जानकारी के साथ उन्होंने ई20 ईंधन के कारण वाहन पर पड़ रहे दुष्प्रभाव का भी विवरण केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री को प्रेषित पत्र में किया है। उन्होंने बताया है कि ई20 ईंधन के कारण 2010 के पूर्व के वाहनों के एवरेज में औसतन 7 % और 2010-2023 के बीच निर्मित वाहनों के एवरेज में 4% कई गिरावट देखी गई है। इथेनॉल के हाइग्रोस्कोपिक और संक्षारक स्वभाव के कारण इंजन में टूटफूट और रखरखाव की समस्या उत्पन्न हुई है। बीमा कंपनियों ने इथेनॉल के दुष्प्रभाव से उत्पन्न इन समस्याओं का रिस्क कवर करने से इंकार कर दिया है। ऐसे में अधिक कीमत देकर कम और गुणवत्ता हीन ईंधन खरीद रहे उपभोक्ताओं पर दोहरी मार पड़ रही है। सरकार को इस दिशा में आवश्यक कदम उठाना चाहिए। अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि सरकार के द्वारा यदि इस मामले में त्वरित रूप से कदम नहीं उठाया गया तो ई20 ईंधन हरित ऊर्जा के क्षेत्र में मील का पत्थर बनने के बजाय क्रोनी पूंजीवाद के संरक्षण में आम नागरिकों के प्रति केंद्र सरकार के एक और असंवेदनशील व्यवहार के रूप में देखा जाएगा।


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