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सीधी उड़ान, सीमा विवाद और ट्रंप के टैरिफ़ पर चीन से क्या हुई बात? विदेश सचिव ने बताया
01-Sep-2025 8:42 AM
सीधी उड़ान, सीमा विवाद और ट्रंप के टैरिफ़ पर चीन से क्या हुई बात? विदेश सचिव ने बताया

चीन के तियानजिन में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहुंचे हैं.

ऐसे में विदेश मंत्रालय ने इस दौरे पर विशेष प्रेस ब्रीफ़िंग की. विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि प्रधानमंत्री का सोमवार का कार्यक्रम कई अहम बैठकों से जुड़ा है.

विक्रम मिसरी ने कहा, “कल प्रधानमंत्री समिट के प्लेनरी सेशन को संबोधित करेंगे, जहां वह एससीओ के तहत क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भारत का नज़रिया साझा करेंगे. इसके बाद उनकी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से द्विपक्षीय बैठक होगी और फिर प्रधानमंत्री भारत लौटेंगे.”

भारत और चीन के बीच सीधी उड़ान के सवाल पर उन्होंने कहा, “जल्द ही हमें भारत और चीन के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स दोबारा शुरू होती दिखेंगी.”

मिसरी ने कहा, “पिछले कुछ हफ़्तों और महीनों में दोनों देशों ने इस मुद्दे पर गहन बातचीत की है. इस साल की शुरुआत में उच्च स्तर पर यह समझ बनी थी कि इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए. तब से कई तकनीकी स्तर की बैठकें हुई हैं. हाल ही में भारतीय सिविल एविएशन का एक प्रतिनिधिमंडल बीजिंग गया था. व्यापक स्तर पर एक सहमति बन चुकी है, अब सिर्फ़ कुछ ऑपरेशनल इश्यूज़ बाकी हैं जैसे एयर सर्विसेज़ एग्रीमेंट और शेड्यूलिंग. मेरी समझ है कि ये आने वाले कुछ हफ़्तों में सुलझ जाएंगे और फ्लाइट्स फिर से शुरू हो जाएँगी.”

सीमा से जुड़ी बातचीत पर विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा, “इस बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए डेडिकेटेड मैकेनिज़्म बनाए गए हैं. हमें उम्मीद है कि भारत और चीन के बीच सीमा क्षेत्रों में सहयोग और समन्वय के लिए जो मौजूदा मैकेनिज़्म है, उसकी बैठक आने वाले दिनों और हफ़्तों में होगी. दोनों पक्षों के नेता आपस में यह तय करेंगे कि सीमा-निर्धारण से जुड़ी बातचीत किस तरह आगे बढ़ाई जाए.”

इस सवाल पर विदेश सचिव ने कहा, “दोनों नेताओं ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिति पर बातचीत की. उन्होंने माना कि मौजूदा हालात से कई चुनौतियाँ सामने आई हैं. चर्चा का मुख्य केंद्र हालांकि द्विपक्षीय रिश्ते ही रहे. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो कुछ हो रहा है और उससे जो चुनौतियाँ पैदा हो रही हैं, उसे भी दोनों नेताओं ने स्वीकार किया, लेकिन उन्होंने कोशिश की कि इन हालात का इस्तेमाल आपसी समझ बढ़ाने और भारत-चीन के कारोबारी रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए कैसे किया जा सकता है.”(bbc.com/hindi)


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