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नयी दिल्ली, 29 जुलाई। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को अलगाववादी संगठन हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को ‘आतंकवादी संगठनों का मुखौटा’ करार दिया और कहा कि मोदी सरकार उसके साथ कभी बातचीत नहीं करेगी।
शाह ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि एक समय था जब हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेताओं के साथ ‘वीआईपी’ जैसा व्यवहार होता था और उनके लिए ‘रेड कार्पेट’ बिछाया जाता था।
गृह मंत्री ने कहा कि हुर्रियत नेताओं के साथ सरकार बातचीत करती थी।
उन्होंने कहा, ‘‘मनमोहन सिंह सरकार के प्रतिनिधि उनके साथ बातचीत करते थे। हमने हुर्रियत के सभी घटकों पर प्रतिबंध लगा दिया और सब सलाखों के पीछे हैं। हम हुर्रियत के साथ बात नहीं करना चाहते।’’
शाह ने कहा, ‘‘मैं नरेन्द्र मोदी सरकार की नीति दोहराना चाहता हूं। हुर्रियत आतंकवादी संगठनों का एक मुखौटा है। हम उनसे बातचीत नहीं करेंगे। हम घाटी के युवाओं से बातचीत करेंगे।’’
साल 1993 में गठित हुर्रियत, जम्मू कश्मीर स्थित कई अलगाववादी संगठनों का एक समूह है। इसे अपने विचारों, गतिविधियों और राजनीतिक बयानों के कारण पाकिस्तान समर्थक समूह माना जाता रहा है। (भाषा)