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सब इंजीनियर भर्ती में आरक्षण नियमों की अनदेखी, हाईकोर्ट पहुंची वंचित अभ्यर्थी
29-Jul-2025 12:11 PM
सब इंजीनियर भर्ती में आरक्षण नियमों की अनदेखी, हाईकोर्ट पहुंची वंचित अभ्यर्थी

'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 29 जुलाई।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) की सब इंजीनियर भर्ती में आरक्षण के नियमों की अनदेखी का आरोप लगा है। इसे लेकर रश्मि आकरे नाम की एक अभ्यर्थी ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि विभाग ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया, जिससे उसे एक बेहतर अवसर से वंचित होना पड़ा।

याचिकाकर्ता के मुताबिक, मार्च 2025 में पीएचई विभाग ने सब इंजीनियर सिविल के 118 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। लेकिन इसमें आरक्षण रोस्टर का पालन नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि 29 नवंबर 2012 को राज्य शासन ने जो नया आरक्षण रोस्टर तय किया था और जिसे सुप्रीम कोर्ट ने भी फिलहाल लागू रखने का आदेश दिया है, उसका पालन नहीं हो रहा है।

 

याचिका में बताया गया है कि विभाग ने एसटी वर्ग के लिए सिर्फ 20% आरक्षण रखा, जबकि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार यह 32% होना चाहिए था। गैर बराबरी का यह नियम लोक निर्माण विभाग, जल संसाधन विभाग और लोक सेवा आयोग जैसी अन्य संस्थाओं में नहीं अपनाया गया है। उन्होंने दावा किया कि अन्य विभाग सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर रहे हैं, लेकिन पीएचई में अधिकारी अपनी मनमर्जी चला रहे हैं। विभाग द्वारा घोषित 102 पदों में 52 पद अनारक्षित, 15 अनुसूचित जाति, 20 अनुसूचित जनजाति और 15% ओबीसी के लिए आरक्षित किए गए। जबकि शासन के निर्देशों के अनुसार एसटी वर्ग को 32% आरक्षण मिलना चाहिए था।

रश्मि आकरे ने याचिका में कहा है कि वह एसटी वर्ग में 19वें नंबर पर थी, लेकिन 16 जुलाई को दस्तावेज सत्यापन के लिए बुलाए गए अभ्यर्थियों में उसका नाम नहीं था। इससे पहले उसे 10 जुलाई को पत्र भेजकर लिखित परीक्षा पास करने की जानकारी दी गई थी। याचिका में यह भी कहा गया कि सामान्य प्रशासन विभाग ने 3 मई 2023 को एक परिपत्र जारी कर स्पष्ट किया था कि नियुक्ति प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन रहेगी। लेकिन पीएचई विभाग ने इस आदेश की भी अनदेखी की।


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