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बैतूल/भिंड (मप्र), 28 जुलाई। मध्यप्रदेश के कई गांवों का बारिश के मौसम में उफनते नदी-नालों के कारण जिला और ब्लॉक मुख्यालय से संपर्क टूट जाने से ग्रामीणों को प्रसव सहित विभिन्न आपातकालीन परिस्थितियों में बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले दिनों ऐसे दो मामले प्रमुख रूप से सामने आए। पहले मामले में एक गर्भवती महिला को बैलगाड़ी में बिठाकर नदी पार कराकर जैसे-तैसे अस्पताल पहुंचाया जबकि दूसरे मामले में प्रसव पीड़ा के बाद एक महिला को चारपाई पर लिटाकर एंबुलेंस तक पहुंचाया गया क्योंकि जलभराव और कीचड़ के चलते वाहन उसके घर तक नहीं पहुंच सका।
राहत की बात यह रही की दोनों मामलों में महिलाओं का सुरक्षित प्रसव हुआ और जच्चा-बच्चा सुरक्षित हैं। इस दौरान ग्रामीणों में सड़कों की बदहाली के लिए सरकार के खिलाफ रोष भी सामने आया।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक इस मानसून सत्र में मध्यप्रदेश में 418.4 मिलीमीटर की तुलना में 645.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है जो सामान्य से 54 प्रतिशत अधिक है।
पहली घटना बैतूल जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर स्थित चिचोली विकास खंड के गांव बोड़ रैय्यत में रविवार को घटित हुई।
गर्भवती महिला सुनीता के पति बबलू आदिवासी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि उनकी पत्नी को रविवार को प्रसव पीड़ा होने लगी लेकिन भांजी नदी में बाढ़ आ जाने के कारण उन्हें जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो ग्रामीणों से चर्चा की।
उन्होंने कहा, ‘‘ग्रामीणों ने हिम्मत दिखाई और सुनीता को बैलगाड़ी में लिटाकर नदी पार कराया गया और फिर एंबुलेंस से चिरापाटला अस्पताल पहुंचाया गया।’’
इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से साझा किया जा रहा है। इसमें देखा जा सकता है कि महिला बैलगाड़ी पर लेटी हुई है और चार-पांच लोग पीछे से धक्का देते हुए उसे दूसरे किनारे पर ले जा रहे हैं।
बबलू ने बताया कि अस्पताल में उनकी पत्नी ने एक स्वस्थ शिशु को जन्म दिया और जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ्य हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर ग्रामीण हिम्मत दिखाते हुए आगे नहीं आते तो मैं अपनी पत्नी को अस्पताल नहीं ले जा पाता। ऐसे में कुछ भी हादसा हो सकता था।’’
जिले के श्रमिक आदिवासी संगठन के राजेंद्र गढ़वाल ने कहा कि भांजी नदी गांव के बीच से गुजरती है और कई बार यहां पुल निर्माण की मांग को लेकर आंदोलन किए गए लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
उन्होंने बताया कि इस नदी में कई बार हादसे हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन ‘‘लापरवाह’’ बना हुआ है।
गढ़वाल ने चेतावनी दी कि अगर 15 अगस्त तक पुल निर्माण की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया तो श्रमिक आदिवासी संगठन बड़े आंदोलन की तैयारी करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘राज्य में वित्तीय संसाधनों की कमी नहीं है, लेकिन बार-बार बजट का बहाना बनाकर काम टाला जा रहा है। अब ग्रामीणों की जान से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।’’
कांग्रेस की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी इस घटना का वीडियो ‘एक्स’ पर साझा किया और प्रदेश सरकार पर हमला किया।
उन्होंने वीडियो का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ये बैतूल में घोड़ाडोंगरी विधानसभा के चिचोली क्षेत्र का दृश्य है! भांजी नदी पार करने की यह मजबूरी, क्या मजबूत नेतृत्व की पहचान है?’’
पटवारी ने विधानसभा में बैतूल का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल पर भी निशाना साधा।
उन्होंने कहा, ‘‘आंदोलन करके थक गई जनता पूछ रही है, क्या अब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की सुनवाई भी नहीं होती है?’’
दूसरा मामला भिंड जिले का है जिसमें करीब 30 वर्षीय एक गर्भवती महिला को सोमवार को चारपाई पर लिटाकर कीचड़ भरी सड़क से होते हुए एम्बुलेंस तक ले जाया गया।
पुलिस ने बताया कि यह घटना लहार विधानसभा क्षेत्र के गावं बरोखरी की है, जहां भारी बारिश के कारण एम्बुलेंस महिला के घर नहीं पहुंच पा रही थी।
इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है।
बरोखरी के अंगद वाल्मीकि की पत्नी चंचल को सोमवार सुबह गंभीर प्रसव पीड़ा हुई, जिसके कारण उसके परिवार को एम्बुलेंस बुलानी पड़ी।
हालांकि, एंबुलेंस जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर महिला के घर तक पहुंच नहीं सकी, क्योंकि रास्ते में जलभराव और कीचड़ था।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इसके बाद चार लोग चंचल को चारपाई पर लेटाकर कीचड़ भरी सड़क से एंबुलेंस तक ले गए।
जिला पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील दुबे ने संवाददाताओं से कहा कि सड़क की खराब स्थिति के लिए कौन सा विभाग जिम्मेदार है, यह निर्धारित करने के लिए एक जांच की जाएगी और निष्कर्षों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
मानसून के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों की खराब स्थिति के बारे में दुबे ने कहा कि ग्राम पंचायतों को सीमित धन मिलता है, जिससे कई विकास कार्यों को पूरा करना मुश्किल हो जाता है। (भाषा)