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बृजमोहन अग्रवाल ने लोकसभा में उठाया मामला
डिजिटल धोखाधड़ी के खिलाफ सख्त रुख, बृजमोहन अग्रवाल बोले "उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा सर्वोपरि"
छिपे शुल्क और झूठे ऑफर्स पर लगे लगाम, सांसद बृजमोहन ने लोकसभा में डार्क पैटर्न पर जताई गंभीर चिंता
रायपुर/नई दिल्ली, 23 जुलाई। सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने आज लोकसभा में ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों पर उपभोक्ताओं को गुमराह करने वाले डार्क पैटर्न के बढ़ते उपयोग शिकायतों का विवरण और अब तक की गई कार्यवाही की जानकारी मांगी।
उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री बी.एल. वर्म ने बताया कि
30 नवंबर 23 को "डार्क पैटर्न की रोकथाम और विनियमन हेतु दिशानिर्देश, " जारी किए गए।
5 जून 25 को सभी ई-कॉमर्स कंपनियों को स्व-ऑडिट कर यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि उनके प्लेटफॉर्म पर कोई डार्क पैटर्न मौजूद न हो।
तीन माह के भीतर सभी कंपनियों से स्व-घोषणा भी मांगी गई है ताकि उपभोक्ताओं का विश्वास बना रहे।
उपभोक्ता अधिकारों की रक्षा और डिजिटल पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त कार्य समूह का गठन भी किया गया है जिसमें मंत्रालयों, उपभोक्ता संगठनों, विधि विश्वविद्यालयों व विशेषज्ञों को शामिल किया गया है।
सांसद अग्रवाल ने कहा कि, “डिजिटल युग में उपभोक्ताओं का हित सर्वोपरि होना चाहिए। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर छिपे हुए शुल्क, झूठे डिस्काउंट, जबरन सब्सक्रिप्शन जैसे डार्क पैटर्न उपभोक्ता के विश्वास को तोड़ते हैं। ऐसे भ्रामक तरीकों से न केवल उपभोक्ताओं का आर्थिक शोषण होता है, बल्कि डिजिटल अर्थव्यवस्था की पारदर्शिता और नैतिकता पर भी प्रश्नचिह्न लगता है।
क्या होते हैं डार्क पैटर्न?
डार्क पैटर्न वे डिजिटल डिज़ाइन तकनीकें होती हैं जिनके माध्यम से उपभोक्ताओं को बिना उनकी स्पष्ट सहमति के कोई उत्पाद या सेवा खरीदने, सब्सक्रिप्शन लेने या अतिरिक्त भुगतान करने के लिए प्रेरित किया जाता है। इनमें झूठी तात्कालिकता (false urgency), प्रच्छन्न विज्ञापन (disguised ads), ट्रिक वर्डिंग (trick wording), सब्सक्रिप्शन ट्रैप, बास्केट स्नीकिंग, कन्फर्म शेमिंग आदि जैसे तरीके शामिल हैं।