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कृषि विज्ञान केंद्रों में 30% पद रिक्त,DBT प्रोत्साहनों को बढ़ाने की जरूरत
रायपुर, 23 जुलाई। सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने आज लोकसभा में प्राक्कलन समिति (2024-25) का छठा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। यह प्रतिवेदन "कृषि विज्ञान केंद्रों
(KVKs) के माध्यम से जलवायु अनुकूलनशील कृषि, प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा" विषय पर केंद्रित है।
श्री अग्रवाल ने बताया कि प्रतिवेदन में कृषि क्षेत्र में नवाचार, स्थायित्व और किसानों की आयवृद्धि को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण सिफारिशें की गई हैं। प्रमुख बिंदुओं में कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग पर चिंता, जैविक कीटनाशकों के व्यापक उपयोग की आवश्यकता, और 1968 के कीटनाशक अधिनियम के तहत प्रवर्तन को सशक्त बनाने की सिफारिशें शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि समिति ने देशभर के कृषि विज्ञान केंद्रों में 30% स्टाफ की भारी कमी पर समिति ने गहरी चिंता जताई है और रिक्तियों को शीघ्र भरने विशेष अभियान चलाने की आवश्यकता बताई है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए चलाए जा रहे NICRA कार्यक्रम की सीमित पहुँच पर भी समिति ने चिंता व्यक्त की है और इसे चरणबद्ध तरीके से सभी अति संवेदनशील जिलों तक पहुँचाने के लिए अतिरिक्त बजट की सिफारिश की है।
प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में, समिति ने एक मानकीकृत लेकिन लचीले प्रोटोकॉल को विकसित करने, प्रशिक्षण बढ़ाने, और पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों तक इसे विस्तारित करने की बात कही है।
श्री अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में किसानों को दी जा रही आर्थिक सहायता को अपर्याप्त मानते हुए समिति ने DBT प्रोत्साहनों को बढ़ाने, सहायता अवधि को तीन वर्षों से आगे बढ़ाने, और जैविक उत्पादों की मार्केटिंग और प्रीमियम प्राइसिंग को प्रोत्साहित करने की सिफारिश की है।