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वित्तीय स्थिति सुधारने दो राष्ट्रीय संस्थानों से मांगे सुझाव
‘छत्तीसगढ़’ की विशेष रिपोर्ट
रायपुर, 23 जुलाई (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। प्रदेश के चारों शक्कर कारखाने ‘सफेद हाथी’ बन गए हैं। चारों शक्कर कारखानों को मिलाकर अब तक साढ़े पांच सौ करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है। बताया गया कि सरकार ने कारखानों की वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए राष्ट्रीय स्तर की दो तकनीकी सलाहकार कंपनियों से सलाह ली है, और घाटे से उबारने के लिए योजना बना रही है।
सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू ने ‘छत्तीसगढ़’ से चर्चा में कहा कि शक्कर कारखानों के घाटे की प्रतिपूर्ति के वित्त विभाग से चर्चा चल रही है। इस पर जल्द ही कोई निर्णय होगा।
बताया गया कि प्रदेश में चार शक्कर कारखाने भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना कवर्धा, सरदार वल्लभ भाई पटेल कारखाना पंडरिया, महामाया सहकारी कारखाना, अंबिकापुर और दंतेश्वरी शक्कर कारखाना बालोद हैं, और ये सभी भारी घाटे में चल रहे हैं। अब चारों शक्कर कारखानों को मिलाकर घाटा 565 करोड़ 67 लाख रुपए पहुंच गया है।
जानकारी के मुताबिक पंडरिया शक्कर कारखाना सबसे ज्यादा 232 करोड़ 95 लाख के घाटे पर है। बालोद 114 करोड़, अंबिकापुर 125.70 और भोरमदेव शक्कर कारखाने पर 92.13 करोड़ घाटा है।
विभागीय सूत्रों के मुताबिक लगातार घाटा बढऩे के कारण शक्कर कारखाने को चला पाना मुश्किल दिख रहा है।
सरकार ने शक्कर कारखाने को घाटे से उबारने के लिए प्रयास भी तेज कर दिए हैं। राष्ट्रीय स्तर की दो तकनीकी सलाहकार कंपनी राष्ट्रीय सहकारी चीनी संघ, दिल्ली और बसंत दादा पाटिल शुगर इंस्टीट्यूट, पुणे को कारखाने का तकनीकी परीक्षण कर प्रतिवेदन देने के लिए अधिकृत किया गया है।
विभागीय अफसरों ने कारखानों के घाटे के प्रमुख कारण गिनाए हैं जिनमें बाजार दर से कम कीमत पर पीडीएस के लिए नागरिक आपूर्ति निगम को शक्कर उपलब्ध कराया।
यह भी बताया गया कि शक्कर विक्रय के लिए कोटा प्रणाली लागू होने के कारण कारखानों को शक्कर विक्रय करने में विलम्ब होना भी है।
प्लांट और मशीनरी पुरानी हो चुकी है, और इस पर काफी खर्च आ रहा है। कारखानों की स्थापना के लिए गए ऋण लिए गए थे। समय पर किश्त की अदायगी नहीं होने के कारण ब्याज और दंड ब्याज की वजह से घाटा लगातार बढ़ रहा है। विभाग को सलाहकार कंपनियों की रिपोर्ट का इंतजार है। इसके बाद जरूरी कदम उठाएं जाएंगे।