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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 11 जुलाई। महासमुंद जिले के बागबाहरा में अपनी ही दो मासूम बेटियों की चाकू से गोदकर हत्या कर देने वाली शिक्षाकर्मी की आजीवन कारावास की सजा को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है। महिला ने खुद भी जान देने की कोशिश की, लेकिन बच गई थी।
पुलिस जांच और सुनवाई के बाद निचली अदालत ने महिला को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अब इस फैसले को चुनौती देते हुए महिला ने हाईकोर्ट में अपील की थी, लेकिन कोर्ट ने यह कहकर अपील खारिज कर दी कि सारे सबूत जुड़कर एक मजबूत कड़ी बनाते हैं, जिससे साफ साबित होता है कि हत्या मां ने ही की थी।
जानकारी के मुताबिक महासमुंद के लमकेनी गांव के शिक्षक जनकराम साहू ने 20 दिसंबर 2017 को पुलिस को खबर दी थी कि उनके किराएदार ईश्वर पांडेय की पत्नी यमुना पांडे और बेटियां खून से लथपथ घर के अंदर पड़ी हैं। पुलिस मौके पर पहुंची तो दोनों बच्चियां दम तोड़ चुकी थीं और मां गंभीर हालत में थी। घर से चाकू, ब्लेड, मोबाइल, फिनाइल तेल और सुसाइड नोट मिला था।
पुलिस ने घायल महिला को अस्पताल पहुंचाया। सुसाइड नोट में उसने लिखा कि मैं जीवन में अकेली और निराश हूं। मैं अपने पति से भरपूर प्यार करती हूं, किन्तु मेरे पति ने मेरे साथ कभी भी भावनात्मक रिश्ता नहीं रखा। वे परिवार की अंतरंग बातें अपने माता-पिता व भाई बहनों से करते हैं और मैं स्वयं को अकेला पाती हूं। इसलिए किसी को कुछ कहने से अच्छा, बच्चों को इस दुनिया से रुखसत करने के बाद खुदकुशी का रास्ता चुन रही हूं। पुलिस ने जांच पूरी कर चार्जशीट कोर्ट में पेश की। 18 मार्च 2021 को महासमुंद के प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश ने महिला को हत्या और आत्महत्या की कोशिश के जुर्म में उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
महिला ने दलील दी कि वो खुद मानसिक रूप से परेशान थी और उसके खिलाफ कोई पुख्ता गवाह नहीं है। वहीं सरकार की तरफ से कहा गया कि घटनास्थल से मिले सामान, सुसाइड नोट, मेडिकल रिपोर्ट और महिला का बयान ही काफी है।
कोर्ट ने माना कि मामला परिस्थितिजन्य सबूतों पर टिका है, लेकिन सभी सबूत मिलकर जुर्म को बिना किसी शक के साबित करते हैं। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बिभू दत्त गुरु की खंडपीठ ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया।