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शिक्षा संचालक के भ्रामक जवाब से नाराज, सेक्रेटरी से हलफनामे में मांगी सफाई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 11 जुलाई। राजधानी रायपुर समेत पूरे छत्तीसगढ़ में बिना मान्यता के चल रहे प्री-नर्सरी और स्कूलों के खिलाफ हाईकोर्ट ने आज एक कड़ा आदेश जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसे स्कूलों पर तत्काल रोक लगाई जाए। यदि इनमें बच्चों को दाखिला दिया गया तो स्कूल के प्रबंधकों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
यह मामला रायपुर के विकास तिवारी ने वकील संदीप दुबे के जरिए जनहित याचिका दायर कर उठाया है। याचिका में कहा गया कि प्रदेश में नर्सरी से लेकर क्लास वन तक कई स्कूल बिना किसी मान्यता के चल रहे हैं। शिक्षा के कारोबारी अपनी एक स्कूल की मान्यता के नाम पर नर्सरी, केजी और क्लास वन की कई ब्रांच गली मोहल्लों में बिना मान्यता लिए खोल देते हैं। शिकायत होने पर शिक्षा विभाग मामूली कागजी खानापूर्ति करता है और 25 हजार रुपये जैसा मामूली फीस लेकर उन्हें स्कूल चालू रखने की अनुमति दे देता है। बाद में अन्य दस्तावेजों को जमा करने के लिए समय दे दिया जाता है, तब तक सत्र समाप्त हो जाता है। इनमें फीस के नाम पर लाखों रुपये वसूले जाते हैं लेकिन जब शिकायत होती है तो शिक्षा विभाग सिर्फ दिखावे की जांच करता है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि रायपुर का कृष्णा पब्लिक स्कूल इसका बड़ा उदाहरण है। एक ही एफिलिएशन से कृष्णा प्ले और कृष्णा किड्स जैसे नाम से कई ब्रांचें चल रही हैं। इसी तरह राजधानी से जशपुर तक करीब 330 स्कूल बिना मान्यता के पढ़ा रहे हैं। शिकायत करने पर शिकायतकर्ता के खिलाफ ही एफआईआर कर दी गई थी।
सुनवाई के दौरान शिक्षा विभाग के डायरेक्टर ने कोर्ट में एफिडेविट पेश कर कुछ स्कूलों की जांच की बात कही, लेकिन कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील को सुनने के बाद उनके जवाब को गलत पाया। दलील दी गई थी कि आरटीई एक्ट के तहत तीन से छह साल के बच्चों के लिए भी आरटीई कानून लागू होता है और बिना मान्यता के स्कूल चलाना गैरकानूनी है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने कहा कि सरकार को ऐसे सभी स्कूलों पर तत्काल रोक लगानी होगी। बच्चों का एडमिशन बंद करना होगा। यदि इसके बाद भी एडमिशन दिया गया तो स्कूलों को भारी दंड चुकाना होगा, जिसे मुआवजे के रूप में एडमिशन लेने वाले बच्चों को दिया जाएगा।
कोर्ट ने शिक्षा सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि डायरेक्टर ने कोर्ट में गलत जानकारी क्यों दी? अब अगली सुनवाई अगस्त में होगी, तब सचिव के हलफनामे पर विचार होगा।