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टाइटेनिक हादसे में छत्तीसगढ़ की एक नन ने दुधमुंहे बच्चे की मां को बचाकर गंवाई थी जान
23-Jun-2023 5:43 PM
टाइटेनिक हादसे में छत्तीसगढ़ की एक नन ने दुधमुंहे बच्चे की मां को बचाकर गंवाई थी जान

राजेश अग्रवाल की रिपोर्ट

   पांच पर्यटक अरबपतियों की मौत से 111 साल पुरानी घटना की याद ताजा हुई   

रायपुर, 23 जून ('छत्तीसगढ़' संवाददाता )। टाइटेनिक जहाज का अवशेष देखने के लिए निकले 5 अरबपति पर्यटकों की मौत की पुष्टि हो गई है। इस घटना के साथ एक बार फिर टाइटेनिक हादसे के साथ छत्तीसगढ़ के संबंध की स्मृति ताजा हो गई है। 111 साल पहले टाइटैनिक जहाज के डूबने से जिन लोगों की मौत हुई उनमें जांजगीर चांपा की मेनोनाइट मिशनरी में सेवा देने वाली नन एनी क्लेमर फंक भी शामिल थीं। उनका सेवाभाव टाइटेनिक के डूबने के दौरान भी दिखा, जब उन्होंने बचाव के लिए पहुंची नौका में अपनी सीट पर एक दुधमुहे बच्चे की मां को बिठा दिया और खुद डूब जाना मंजूर कर लिया।  

10 अप्रैल 1912 को इंग्लैंड से अमेरिका के लिए करीब 2200 यात्रियों को लेकर रवाना टाइटेनिक जहाज 15 अप्रैल को अटलांटिक महासागर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इसमें 700 यात्री बचा लिए गए लेकिन बाकी  नहीं बचाए जा सके। इसी जहाज में जांजगीर की मिस एनी क्लेमर फंक भी टिकट नंबर 237671 लेकर सवार थीं, जिन्होंने 12 अप्रैल को इसी जहाज पर अपना 38 वां और आखिरी जन्मदिन मनाया। 

छत्तीसगढ़ में ईसाई मिशनरियों का बहुत पुराना इतिहास रहा है। सन् 1868 के बाद से विश्रामपुर, रायपुर, चंदखुरी, मुंगेली, पेंड्रारोड, चांपा, धमतरी, जशपुर आदि में अनेक मिशनरीज पहुंचे और उन्होंने स्कूल, अस्पताल और चर्च बनवाए। इनमें से एक मेनोनाइट चर्च था जिसे सन् 1900-1901 में जान एफ क्रोएकर ने तैयार किया। यहीं सन् 1906 में अमेरिका से एनी फंक यहां पहुंची और लड़कियों के लिए उन्होंने एक स्कूल खोला।

इस बारे में पुरातत्व के जानकार सेवानिवृत्त अधिकारी राहुल सिंह ने अपने ब्लॉग अकलतरा डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम में 10 मई 2012 को विस्तार से लिखा है। कुछ जानकारी बीबीसी के पोर्टल पर भी उपलब्ध हैं। इनमें बताया है कि अंतिम सांसें गिन रही  अपनी बीमार मां की खबर पाकर मुंबई होकर एनी इंग्लैंड पहुंचीं। इंग्लैंड से अमेरिका पहुंचने के लिए उन्हें एसएस हेवाफोर्ड जहाज से आगे की यात्रा करनी थी, मगर कोयला मजदूरों की हड़ताल के कारण वह जहाज यात्रा पर नहीं निकल सका, तब एनी फंक ने अतिरिक्त राशि देकर टाइटेनिक में अपना टिकट बुक करा लिया। 

राहुल सिंह लिखते हैं कि 15 अप्रैल को दुर्घटना के बाद बचाव के लिए जीवन रक्षक नौकाएं पहुंचीं, जिसमें मिस फंक का नंबर आ गया लेकिन एक महिला के बच्चे को तो नौका में प्रवेश मिल गया था लेकिन वह खुद जहाज पर छूट गई थी। वह दुधमुंहे बच्चे की भी मां थी। मिस फंक ने अपनी सीट उसे दे दी और खुद बचाव के लिए अगले नौका का इंतजार करने लगी। लेकिन उसका नंबर नहीं आया। जब तक बचाव के लिए अगली नौका पहुंची टाइटेनिक के साथ मिस पंक भी डूब चुकी थीं।

सन् 1915 में मिस फंक की स्मृति में मिशन परिसर जांजगीर में दो मंजिला भवन बनाया गया, जिसमें फंक मेमोरियल स्कूल की स्थापना भी हुई। परिसर में इस भवन के अवशेष के साथ टाइटैनिक हादसे एवं मिस एनी क्लियर फंक के जिक्र वाला स्मारक मौजूद है। इन्हीं के जीवन पर एक वृत्तचित्र भी अमेरिका में तैयार किया गया, जिसका प्रदर्शन पेंसिलवेनिया स्थित उनके पैतृक शहर में किया जाता है। 


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