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दुनिया में शायद ही कोई और राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री डोनल्ड ट्रम्प की तरह की हलकट हरकतें करने वाले रहे हों। अभी ट्रम्प ने अपनी ही बनाए हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, ‘ट्रुथ’ पर एक गढ़ा हुआ वीडियो पोस्ट किया जिसमें राष्ट्रपति के दफ्तर में पिछले एक डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति बराक ओबामा ट्रम्प के साथ बैठे हैं, और अचानक वहां पर अमरीका की सबसे बड़ी जांच एजेंसी, एफबीआई के एजेंट घुसते हैं, और वे ओबामा को पकडक़र नीचे गिराते हैं, और हथकड़ी लगाकर गिरफ्तार करते हैं। ट्रम्प की अपने विरोधियों को गिरफ्तार करने की हसरतें हमेशा ही बनी रहती हैं। 2016 के चुनाव में ट्रम्प ने उनके खिलाफ खड़ी हिलेरी क्लिंटन के खिलाफ चुनावी सभाओं में बार-बार ‘लॉक हर अप’ के नारे लगाए थे, यानी हिलेरी को गिरफ्तार करो, जेल भेजो। अभी का वीडियो ट्रम्प ने एक किसी टिक-टॉक अकाऊंट से अपने सोशल मीडिया अकाऊंट पर डाला है जिसमें ट्रम्प की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं के बारे में यह गाना सुनाया गया है कि कोई कानून से ऊपर नहीं है। करीब 40 सेकेंड का यह वीडियो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से बनाया गया है, और इसमें ओबामा के गिरफ्तारी के वक्त हँसते और ठहाके लगाते ट्रम्प को दिखाया गया है, और बाद में ओबामा को कैदी की पोशाक में जेल में सलाखों के पीछे भी।
अब ओबामा से बिना किसी झगड़े के अचानक अमरीकी राष्ट्रपति ने इस तरह की छिछोरी हरकत क्यों की है? क्योंकि अभी तो ओबामा खबरों में भी नहीं है, और पत्नी और बेटियों के साथ फोटो-वीडियो कभी-कभी दिखते हैं। इस बारे में अमरीका के कुछ लोगों का यह मानना है कि अभी ट्रम्प सरकार में नेशनल इंटेलीजेंस की डायरेक्टर तुलसी गबार्ड ने यह घोषणा की थी कि ओबामा सरकार के समय उनके बड़े अफसरों ने ट्रम्प के खिलाफ एक साजिश की थी। अमरीकी एजेंसियां ऐसी किसी साजिश के सुबूत होने पर किसी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए आजाद हैं, और ट्रम्प की सरकार में तो देश की अधिकतर एजेंसियां ट्रम्प की गुलाम भी हैं। उनसे असहमत जजों तक को बर्खास्त कर दिया गया है, और दर्जनों वकीलों ने सरकारी ओहदों से इस्तीफा दे दिया है कि वे ट्रम्प सरकार के फैसलों के खिलाफ देश भर में दायर मुकदमों के सैलाब से नहीं जूझ सकते। ऐसे में उनकी खुफिया-मुखिया अगर ऐसे सुबूत मिलने का दावा करती है, तो सबसे आसान तरीका तो सुबूतों को पेश करके किसी अदालत में मुकदमा चलाने का है, लेकिन ट्रम्प की यह हरकत शायद कुछ और मतलब भी रखती है।
लोगों का कहना है कि ट्रम्प अपने बड़े-बड़े दावों के बावजूद कोई छोटी सी कामयाबी भी अब तक नहीं पा सके हैं। इजराइल और फिलीस्तीन के बीच इकतरफा जंग अभी खत्म नहीं हुई है, और अमरीका इजराइल के साथ खड़ा है, और एक-एक करके अमरीका के सहयोगी देश इजराइल के खिलाफ होते जा रहे हैं। ट्रम्प अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इजराइल के मुद्दे पर लगातार और अधिक अलग-थलग होते जा रहे हैं। यह नौबत ट्रम्प की नोबल शांति पुरस्कार पाने की हवस की गुंजाइश घटाती चल रही है। दूसरी तरफ दुनिया का आज जंग का सबसे बड़ा मोर्चा, रूस और यूक्रेन, ट्रम्प के प्रभाव से बेअसर बना हुआ है। रूस ने ट्रम्प की सारी शुरूआती मोहब्बत के बाद ट्रम्प की तमाम बातों को अनसुना कर दिया है, और यूक्रेन ने ट्रम्प से शुरूआती तनातनी के बाद उससे जंग के भारी हथियार पाने की मंजूरी पा ली है। कुल मिलाकर ट्रम्प ने इस मोर्चे पर अपने सारे बाहुबल के इस्तेमाल के बाद भी इस बात के पुख्ता सुबूत दे दिए कि वह कितने बड़े दर्जे का बेवकूफ है। आज महीनों की धमकियों, और अल्टीमेटम के बाद भी ट्रम्प इस मोर्चे पर कोई शांति नहीं ला पाया, और हर दिन उसे नोबल शांति पुरस्कार की संभावना से दूर धकेल रहा है। ट्रम्प की नाकामयाबियां एक के बाद एक बढ़ रही हैं, और कल ही अमरीका के एक प्रमुख और चर्चित पत्रकार फरीद जकारिया ने अपने एक लोकप्रिय शो में यह गिनाया है कि किस तरह अमरीकी जनता के बीच ट्रम्प की लोकप्रियता गड्ढे में जा रही है, किस तरह लोग ट्रम्प के फैसलों से असहमत होते चल रहे हैं, और वहां जो आम सर्वे होते रहते हैं, वे ट्रम्प को एक बहुत ही अलोकप्रिय हो चुका राष्ट्रपति बता रहे हैं। ऐसी तमाम स्थितियों के बीच कुछ लोगों का यह भी मानना है कि ट्रम्प ने अपनी असफलताओं की तरफ से लोगों का ध्यान हटाने के लिए ओबामा के ऐसे वीडियो का सहारा लिया है जो कि जाहिर तौर पर गढ़ा गया है, कुछ लोगों के लिए मनोरंजक है, और बाकी लोगों के लिए लोकतंत्र के खिलाफ अपमानजनक भी है।
आज की अंतरराष्ट्रीय राजनीति में यह बात समझने की जरूरत है कि सार्वजनिक जीवन के लोग, बड़ी-बड़ी कंपनियां, राजनीतिक दल, और कई किस्म की विचारधाराएं गढ़ी हुई चीजों से जनधारणा बदलने की कोशिश करते ही रहते हैं, और जनसमर्थन जुटाने की भी। चुनावों के वक्त तो ऐसी बात आम रहती है, लेकिन अब चुनावों से परे भी लगातार यह जनधारणा-प्रबंधन चलते रहता है। सोशल मीडिया ने पिछले दो दशकों में एक नया औजार और हथियार इन सब तबकों को दे दिया है, और दुनिया का यह भी तजुर्बा है कि फेसबुक जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म पर इश्तहार देकर भी, भुगतान करके अधिक लोगों तक पहुंचकर भी लोग दुनिया की सोच को प्रभावित करते हैं। यह औजार पहले तो लोगों को अपने नशे में डुबाते चले गया, और जब लोग नशेड़ी हो गए, तो इसने अपने असर को नशे के एक हथियार की तरह बेचना शुरू कर दिया। भारत के ही पिछले चुनावों में फेसबुक पर विज्ञापनों में, या वहां पर पहुंच खरीदने में भारत के नेताओं और राजनीतिक दलों ने शायद अरबों रूपए खर्च किए। और चुनावों से परे भी अब तो पूरे समय यह सिलसिला चलते रहता है क्योंकि कोई सरकार, या कि कोई नेता परेशानियों में घिरते रहते हैं, और वैसे नाजुक वक्त पर वे अखबारों की सुर्खियों में कुछ दूसरे मुद्दों को लाना चाहते हैं, टीवी के समाचार-बुलेटिनों में कुछ और दिखलाना चाहते हैं ताकि उनके बारे में नकारात्मक खबरें पीछे या नीचे दब जाएं। ट्रम्प आज जो हरकत कर रहा है वह ठीक वैसी ही है जैसी कि हिन्दुस्तान में किसी बड़े मुद्दे को पीछे धकेलने के लिए कभी सडक़ पर सेक्स का वीडियो चार दिन टीवी पर छाया रहता है, या कभी किसी एक छिलटे सरीखे नेता का दिया हुआ बहुत ही ऊटपटांग बयान रात-दिन खबरों पर छाया रहता है। ट्रम्प ने भी उसी दर्जे का काम किया है, लेकिन वह बेशर्म इतना है कि ऐसी हरकत वह राष्ट्रपति रहते हुए भी अपने सोशल मीडिया अकाऊंट से करता है। अमरीकी जनता ने अभूतपूर्व और असाधारण घटिया राष्ट्रपति चुनने का एक रिकॉर्ड कायम किया है, और वहां के सर्वे बता रहे हैं कि जनता अपने फैसले के खिलाफ सोचने लगी है। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)