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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नारायणपुर (बस्तर), 24 जनवरी। जिला पुलिस पर फर्जी नक्सली मुठभेड़ में एक युवक को मार डालने का आरोप लगा है। मृतक का भाई डीआरजी का जवान है और उसका कहना है कि उसका भाई भी बस्तर फाइटर्स में भर्ती होने की तैयारी कर रहा था। पुलिस ने परिजनों के आरोपों को इंकार किया है और कहा कि हो सकता है कि उसके जवान को पता नहीं होगा कि उसका भाई नक्सली गतिविधि में लिप्त है।

ज्ञात हो कि जिले के भरांडा इलाके में रविवार की रात डीआरजी फोर्स और माओवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी। पुलिस ने आज सुबह दावा किया कि सर्चिंग के दौरान एक अज्ञात माओवादी का शव बरामद किया गया है। साथ ही हथियार और नक्सली सामग्री बरामद की गई है।

मृतक की पहचान मानू नुरेटी के रूप में हुई। उसकी मौत के बाद परिजन आज नारायणपुर जिला मुख्यालय पहुंच गए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह मुठभेड़ फर्जी है। मृतक मानू कुरेटी नवंबर महीने में बस्तर फाइटर्स आरक्षक पद की भर्ती के लिए आवेदन किया था और वह इसकी तैयारी कर रहा था। मृतक का भाई खुद ही डीआरजी जवान है। उसने भी इस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए जांच की मांग की।

इधर एडिशनल एसपी नीरज चंद्राकर ने मृतक के परिजनों के आरोप को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि कल रात हमारी टीम सर्चिंग के लिए निकली हुई थी। रात करीब 1:30 बजे हमारी टीम पर हैवी फायर आया, जिसका हम लोगों ने आत्मरक्षार्थ जवाब दिया। सुबह एक शव हमें मिला। साथ में भरमार बंदूक और नक्सल सामान भी मिले। उनके परिवार जनों के आरोप पर एएसपी ने कहा कि उनको नक्सलियों द्वारा ऐसा कहने के लिए सिखाया जाता है। पुलिस पर जब हमला हुआ तो उसने आत्मरक्षा के लिए गोली चलाई थी। जिस तरह से हम लोगों के ऊपर भारी फायरिंग हुई, कम से कम 10-12 नक्सली रहे होंगे। मृतक का भाई जो हमारे संगठन में डीआरजी है वह भी एक समर्पित नक्सली है। हो सकता है कि मृतक ने इसीलिये अपनी नक्सली गतिविधि के बारे में भाई को बताया नहीं होगा।


