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बिलासपुर, 11 जनवरी। स्मार्ट सिटी परियोजना के कार्यों में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के अधिकारों का हनन करने के आरोप में दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि क्यों ना ऐसा आदेश पारित किया जाए कि स्मार्ट सिटी लिमिटेड अपने हर प्रोजेक्ट का सामान्य सभा और मेयर इन काउंसिल से अनुमोदन ले और नगर निगम के प्रावधानों के अंतर्गत कार्य करे।
चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई। अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और गुंजन तिवारी की ओर से दायर याचिका पर विनय दुबे ने बताया कि स्मार्ट सिटी कंपनियां बिना जवाबदेही के नगर निगम क्षेत्र में कार्य कर रही हैं। कंपनी निर्वाचित संस्था के अधिकारों को हड़प रही है। मामले की पिछली सुनवाई 14 सितंबर 2021 को हुई थी जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि कोई भी नई परियोजना शुरू करने से पहले वह कोर्ट की मंजूरी ले। इस आदेश के बाद रायपुर और बिलासपुर की स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने आवेदन के साथ नए प्रोजेक्ट की अनुमति मांगी थी। पिछली सुनवाई में अनुमति देने से इंकार कर दिया गया था। 19 जनवरी से पहले स्मार्ट सिटी लिमिटेड को इस बात का जवाब देना है कि क्यों नहीं वे अपने प्रत्येक प्रोजेक्ट का अनुमोदन नगर निगम से ले।


