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-ललित मौर्य
रिपोर्ट के मुताबिक गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और उपचार पर खर्च किए गए एक रुपए के बदले लोगों को सात रुपए वापस मिलेंगे
यदि कमजोर और पिछड़े देशों में हर व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रति वर्ष एक डॉलर से कम का निवेश किया जाए तो उसकी मदद से 2030 तक हर साल 70 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है। यह जानकारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट ‘सेविंग लाइव, स्पेन्डिंग लैस’ में सामने आई है। इस रिपोर्ट में 76 निम्न और निम्नतर से मध्य आय वाले देशों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है।
इस निवेश से हर साल दिल के दौरा पड़ने और आघात के लगभग एक करोड़ मामले टाले जा सकते हैं। यदि इससे होने वाले कुल आर्थिक लाभ को देखें तो वो करीब 17.5 लाख करोड़ रुपए के बराबर बैठता है।
इतना ही नहीं रिपोर्ट के मुताबिक एनसीडी यानी गैर-संचारी बीमारियों की रोकथाम और उपचार पर किए गए प्रति रुपए का फायदा सात रुपए के रुप में वापस मिलेगा। ऐसे में देखा जाए तो इसपर किया गया निवेश काफी फायदे का सौदा है। इतना ही नहीं इसकी मदद से स्वस्थ जीवन के 5 करोड़ वर्ष और जोड़े जा सकते हैं।
गौरतलब है कि दुनिया भर में तम्बाकू और शराब का बढ़ता सेवन, शारीरिक गतिविधियों में आती कमी, जंक फ़ूड और स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले भोजन के प्रति बढ़ता चाव इन बीमारियों के खतरे के और बढ़ा रहे हैं।
10 में से सात लोगों की मौत के लिए जिम्मेवार हैं एनसीडी
डब्ल्यूएचओ ने अपनी इस रिपोर्ट में एनसीडी यानी गैर-संचारी रोगों जैसे हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर और सांस सम्बन्धी बीमारियों की रोकथाम, उपचार और उनके प्रबन्धन में तत्काल निवेश की आवश्यकता पर बल पर बल दिया है। गौरतलब है कि दुनिया भर में हर साल होने वाली 10 में से सात लोगों की मौत के लिए यह गैर-संचारी रोग ही जिम्मेवार होते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार गैर-संचारी रोग हर साल 4.1 करोड़ लोगों की जान ले रहे हैं, जो वैश्विक स्तर पर होने वाली कुल मौतों का करीब 71 फीसदी है। इनमें से करीब डेढ़ करोड़ लोगों की उम्र 30 से 69 वर्ष के बीच होती है।
इतना ही नहीं आंकड़ों के मुताबिक गैर संचारी रोगों में हृदय रोग से सबसे लोगों की जान जाती है। यह हर वर्ष औसतन 1.79 करोड़ लोगों की मौत के लिए जिम्मेवार है। इसके बाद कैंसर से 93 लाख, सांस सम्बन्धी विकारों से 41 लाख और मधुमेह के चलते हर साल 15 लाख लोगों की जान जा रही है।
हालांकि इसके बावजूद आर्थिक रूप से कमजोर देशों में इन बीमारियों के प्रभाव को अक्सर कम करके आंका जाता है। हालांकि तथ्य यह है कि इन बीमारियों के चलते असमय होने वाली 85 फीसदी मौतें (30-69 वर्ष की आयु के बीच) निम्न और माध्यम आय वाले देशों में होती हैं। ऐसे में यह बीमारियां पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर देशों के स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के लिए भारी बोझ बन जाती हैं।
इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस अदहानोम गेब्रेयेसस का कहना है कि “गैर-संचारी रोगों यानि एनसीडी का भीषण बोझ सह रहे देश, उचित रणनैतिक निवेश करके, बीमारी की दिशा को बदल सकते हैं और अपने नागरिकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य और आर्थिक प्रगति की राह को सुनिश्चित कर सकते हैं।“
इन बीमारियों के जोखिम को कम करना इतना भी मुश्किल नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार इन में से अधिकांश मौतों को डब्ल्यूएचओ के आजमाए और परीक्षण किए गए एनसीडी बेस्ट बाय हस्तक्षेपों की मदद से रोका जा सकता है। इनमें तंबाकू और शराब के उपयोग को कम करना, आहार में सुधार करना, जंक फ़ूड से बचना, शारीरिक गतिविधियों में इजाफा करना, हृदय रोगों और मधुमेह के जोखिम को कम करना और सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लागत प्रभावी उपाय शामिल हैं।
ऐसे में लोगों के स्वस्थ रहने से जहां स्वास्थ्य सम्बन्धी खर्चों में कमी आएगी, उत्पादकता में इजाफा होगा और लोग लंबा और स्वस्थ जीवन व्यतीत कर सकेंगें। (downtoearth.org.in)


