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संगीत विवि में नशामुक्ति व मानसिक स्वास्थ्य पर व्याख्यान
04-Sep-2025 3:37 PM
संगीत विवि में नशामुक्ति व मानसिक स्वास्थ्य पर  व्याख्यान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

खैरागढ़, 4 सितंबर। इन्दिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में नशामुक्ति एवं मानसिक स्वास्थ्य विषय पर एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन संपन्न हुआ। कुलपति  प्रो.डॉ.लवली शर्मा के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय के कैम्पस-2 स्थित प्रेक्षागृह में आयोजित उक्त व्याख्यान में सेंट्रल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस राजनांदगांव के निदेशक डॉ. प्रमोद गुप्ता के द्वारा विद्यार्थियों को नशामुक्ति एवं मानसिक स्वास्थ्य के संबंध में विभिन्न जानकारी प्रदान की गई।

उन्होंने बताया कि वर्तमान में विद्यार्थी तनाव में आकर आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं जिसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। बेहतर भविष्य का तनाव, शिक्षकों का तनाव एवं प्रतिस्पर्धा सहित प्रेम संबंध के कारण अधिकतर युवा आत्महत्या के शिकार हो रहे हैं। बचपन से ही माता-पिता अपने बच्चों को अपने हिसाब से कार्य कराना चाहते हैं जिसकी वजह से उनका तनाव और अधिक बढ़ जाता है। 18 से 20 साल के बच्चें अपने आपसी संबंधों को मैनेज नहीं कर पाते जिसके कारण वें नशापान की ओर आगे बढ़ रहे हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि वर्तमान में 53 प्रतिशत लोग ओव्हर डोज नशा कर रहे हैं जिसका मुख्य कारण तनाव है। उन्होंने कहा कि वैवाहिक जीवन में खुशहाल रहने के लिये एक-दूसरे को समझना आवश्यक है, आपसी रिश्तों को समय देना आवश्यक है तभी जीवन बेहतर चल पाएगा। खासकर वर्तमान समय में युवाओं को आधुनिक उपकरण जैसे मोबाईल, लैपटॉप या टीवी आदि का उपयोग सीमित रूप से करने की सलाह दी। जन्म से लेकर मृत्यु तक तनाव आपके साथ रहेगा ऐसे में बहतर जीवन के लिये उसके नियंत्रण पर प्रबंधन करना आवश्यक है। जीवन में अलग-अलग कार्यों को लेकर तनाव होना संभव है परंतु महत्वपूर्ण यह है कि आपका मन कितने धैर्य व शांत रहकर बौद्धिकता का उपायेग कर उन समस्याओं को दूर करने की सोचता है, यही स्वस्थ मन की परिभाषा है। डॉ. गुप्ता ने 18वीं सदी से लेकर 21वीं सदी तक की पीढिय़ों के बारे में बताते हुए वर्तमान में बढ़ते नशे के कारण व इसके निदान के संबंध में विद्यार्थियों को जानकारी प्रदान की। उन्होंने कहा कि पहले लोग अपने परिवार को महत्व देते थे, उनके साथ समय व्यतीत करते थे लेकिन अब सोशल मीडिया में लोग अपना फैमली बनाने में लगे हैं, ऐसे में उनके भीतर संस्कार तथा ज्ञान कैसे आयेंगे। लोगों को सोशल मीडिया की काल्पनिक दुनिया से बाहर निकलकर वास्तविक जीवन जीने के लिये प्रेरित किया। वर्तमान में लोग अपने घर के बुजुर्गों को वृद्धाश्रम भेज रहे हैं तो उनके बच्चें अपनी परंपरा एवं संस्कृति का ज्ञान कहां से अर्जित कर पायेंगे।

उन्होंने विद्यार्थियों से ब्रह्म मुहुर्त में उठकर दिनचर्या का प्रारंभ करने की बात कही और मानसिक स्वास्थ्य के लिये 8 घंटे की भरपूर नींद लेने की अपील की। इस दौरान उपस्थित विद्यार्थियों के द्वारा बेहतर भविष्य सहित अन्य विषयों के संबंध में सवाल पूछे गये जिसका संतुष्टिपूर्वक उत्तर भी डॉ. गुप्ता के द्वारा दिया गया।

इस अवसर पर अधिष्ठातागण प्रो.राजन यादव व प्रो. नमन दत्त, सहायक कुलसचिव  विजय कुमार सिंह सहित विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, अधिकारीगण तथा विद्यार्थीगण, शोधार्थीगण उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार प्रदर्शन अधिष्ठाता छात्र कल्याण संघ डॉ. देवमाईत मिंज ने किया।


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