खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
खैरागढ़, 30 अप्रैल। नगर के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. महेश मिश्रा ने मृत्यु पश्चात देहदान करने की घोषणा की है।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए डॉ. महेश मिश्रा ने कहा कि जीवन भर जिस शरीर को स्वस्थ और सुरक्षित रखने का पुरजोर जतन करते हैं ,उसे मृत्यु के बाद खाक में मिलाना उपयुक्त नहीं है , इससे बेहतर है कि शरीर को चिकित्सा के क्षेत्र में काम आने के लिए दिया जाए।
उन्होंने कहा कि आज मेडिकल के छात्रों के लिए मृत शरीर की आवश्यकता है, ताकि चिकित्सा के क्षेत्र में नई पीढ़ी का शिक्षा व शोध कार्य अच्छे तरीके से हो सके।
डॉ. मिश्रा ने बताया कि उनकी पांच बेटियां हैं और सभी अपने जीवन से संतुष्ट हैं। मेरे इस फैसले को परिवार के लोगों ने सराहना करते हुए अपनी सहमति दी है।
देहदान के लिए राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में सभी प्रकार की औपचारिकताएं पूरी कर ली गई है।
गौरतलब हो कि मौत के बाद शरीर को चिकित्सा छात्रों के शोध के लिए अधिकतम 3 वर्ष तक प्रयोग में लाया जा सकता है।
डॉ. मिश्रा ने कहा कि आज मेडिकल छात्रों के अध्ययन हेतु मृत शरीर की कमी है। मैं मेडिकल के क्षेत्र में शोध करने वाले लोगों के काम आने के उद्देश्य से अपना शरीर दान किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रेस वार्ता के माध्यम से देहदान करने की घोषणा के पीछे मेरा मकसद यह है कि और भी लोग जागरूक हो और अपना शरीर मेडिकल छात्रों के अध्ययन के लिए दान करें।


