जशपुर
तस्वीर और जानकारी, विमल मिंज
आज से करीब पंद्रह से सोलह साल पहले की बात है,जब हम अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए जशपुर जिले के कुनकुरी ब्लॉक के शंकरगढ़ गए हुए थे,जहां निवासरत बिरहोर जनजाति के लोग अभी भी रहते हैं। जिन्हें विशेष पिछड़ी जनजाति माना गया है, शायद उस गांव में नवाखई(नए फसल) का त्यौहार मना रहे थे,लोग अपने रंगों में मस्त थे और मांदर की थाप पर नाच गा रहे थे, इसी भीड़ में गोपाल भी था जो अपने दोस्तों के साथ था,जो अब बीस से पच्चीस उम्र का होगा।
तभी अचानक मैंने उन तीनों दोस्तों को देखकर लगा कि इन्हें मैंने कभी देखा है और उनकी फोटो मैंने बचपन में ली है, शुरू से आदत रही है कि कुछ अलग सी फोटो को मैं अपने मेल पर सुरक्षित रखता हूं, तब मैंने अपनी फोटो गैलरी में जाकर उन्हें उनकी बचपन की फोटो दिखाई जो उनके गांव में मैंने ली थी। सच बताऊं तो गोपाल इतना खुश हो गया उसने कहा यह फोटो आप आज तक संभाल कर रखे हैं, गोपाल ने बताया था वो आंध्रप्रदेश में किसी बोरिंग गाड़ी में हेल्पर का काम करता है, और उसके दोस्त गांव में ही खेती बाड़ी करते हैं, मैंने उससे उसका नंबर लिया और उसे उसका फोटो भेजा, और बचपन में जैसे उनकी फोटो ली थी इस पोज पर फिर से तीनों दोस्तों की फोटो ली, इसलिए विश्व फोटोग्राफी दिवस का यह दिन ,गोपाल के मुस्कुराहट और उनके दोस्तों के चेहरे की खुशी एक फ़ोटो ही याद दिलाती है।
बहुत सालों से इस बात को अपने सोशल मीडिया के माध्यम से आप सभी तक पहुंचाना चाहता था,और आज मेरी इस याद को रखने का अच्छा दिन है, अंत में आप सभी को फोटोग्राफी विश्व फोटोग्राफी दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं... विमल कुमार मिंज


